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________________ ४४० जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र सत्तगद्गदुग पंचग एक्केक्कग पंच चउतिगं चेव। एक्कारसग चउक्कं चउक्कगं चेव तारग्गं। भावार्थ - हे भगवन्! इन अट्ठाईस नक्षत्रों में अभिजित नक्षत्र के कौन-कौन से तारे कहे गए हैं? . हे गौतम! अभिजित नक्षत्र के तीन तारे बतलाए गए हैं। जिन नक्षत्रों के जितने-जितने तारे हैं, वे इस प्रकार (पहले से अंतिम तक) ज्ञातव्य है गाथाएं - अट्ठाईस नक्षत्रों के क्रमशः तीन, तीन, पांच, सौ, दो, दो, बत्तीस, तीन, तीन, छह, पांच, तीन, एक, पांच, तीन, छह, सात, दो, दो, पांच, एक, एक, पांच, चार, तीन, :. ग्यारह, चार एवं चार तारे हैं। - नक्षत्रों के गोत्र एवं संस्थान (१९२) एएसि णं भंते! अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभिई णक्खत्ते किंगोत्ते पण्णत्ते? गोयमा! मोग्गलायणसगोत्ते०, गाहा - मोग्गल्लायण १ संखायणे २ य तह अग्गभाव ३ कण्णिल्ले ४। तत्तो य जाउकण्णे ५ घणंजए ६ चेव बोद्धव्वे॥१॥ पुस्सायणे ७ य अस्सायणे य ८ भग्गवेसे ह य अग्गिवेसे १० य। गोयम ११ भारद्दाए १२ लोहिच्चे १३ चेव वासिढे १४॥२॥ ओमजायण १५ मंडव्वायणे १६ य पिंगायणे १७ य गोवल्ले १८ । कासव १६ कोसिय २० दब्भा २१ य चामरच्छाय २२ सुंगा य २३॥३॥ गोवल्लायण २४ तेगिच्छायणे २५ य कच्चायणे २६ हवइ मूले। तत्तो य वज्झियायण २७ वग्यावच्चे य गोत्ताई २८॥४॥ एएसि णं भंते! अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभिईणक्खत्ते किंसंठिए पण्णत्ते? गोयमा! गोसीसावलिसंठिए पण्णत्ते। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004179
Book TitleJambudwip Pragnapti Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2004
Total Pages498
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jambudwipapragnapti
File Size9 MB
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