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________________ षष्ठ वक्षस्कार - जम्बूद्वीप के खण्ड आदि ३७६ गोयमा! एगे छण्णउए सलिलासयसहस्से पुरथिमपच्चत्थिमाभिमुहे लवणसमुदं समप्पेइ। जंबुद्दीवे णं भंते! दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं केवइया सलिलासयसहस्सा पुरस्थिम-पच्चत्थिमाभिमुहा लवणसमुदं समप्पेंति? गोयमा! एगे छण्णउए सलिलासयसहस्से पुरथिमपच्चत्थिमाभिमुहे जाव समप्पेड़। जंबुद्दीवे णं भंते! दीवे केवइया सलिलासयसहस्सा पुरत्थाभिमुहा लवणसमुदं समप्पेंति? गोयमा! सत्त सलिलासयसहस्सा अट्ठावीसं च सहस्सा जाव समप्यति। जंबुद्दीवे णं भंते! दीवे केवइया सलिलासयसहस्सा पच्चत्थिमाभिमुहा लवणसमुदं समप्येति? गोयमा! सत्त सलिलासयसहस्सा अट्ठावीसं च सहस्सा जाव समप्पेंति। एवामेव सपुव्वावरेणं जंबुद्दीवे दीवे चोइस सलिला-सयसहस्सा छप्पण्णं च सहस्सा भवंतीतिमक्खायं। .. | छटो ववखारो समत्तो॥ भावार्थ - खंड, योजन, वर्ष, पर्वत, कूट, तीर्थ, श्रेणियाँ, विजय, द्रह एवं नदियाँ - इनका इस सूत्र में वर्णन हुआ है, जिनकी यह संग्राहिका-संसूचिका गाथा है। हे भगवन्! जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र के प्रमाण जितने खंड किए जायें तो वह कितने खण्डों में विभक्त होगा? हे गौतम! खण्ड गणित - खण्ड गणना के अनुसार वह १९० खण्डों में विभक्त होगा। हे भगवन्! योजन गणित - योजन विषयक गणना के अनुसार जम्बूद्वीप का प्रमाण कितना कहा गया है? गाथा - हे गौतम! जम्बूद्वीप के क्षेत्रफल का प्रमाण सात अरब नब्बे करोड़ छप्पन लाख चौरानवे हजार एक सौ पचास योजन निरूपित हुआ है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004179
Book TitleJambudwip Pragnapti Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2004
Total Pages498
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jambudwipapragnapti
File Size9 MB
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