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________________ श्रमण आवश्यक सूत्र श्रमण प्रतिक्रमण की विधि प्रतिक्रमण प्रारंभ नमस्कार सूत्र । पहले आवश्यक की आज्ञा करेमि भंते, इच्छामि ठामि, तस्सउत्तरी, १२५ अतिचार का काउस्सग्ग (ध्यान) कायोत्सर्ग विशुद्धि का पाठ बोलना । कायोत्सर्ग के पाठ ज्ञानातिचार (आगमे तिविहे ), दर्शनातिचार (अरहंतो महदेवो, छह काय की यतना, पच्चीस भावना व रात्रि भोजन, पाँच समिति तीन गुप्ति, संलेखना, समुच्चय पाठ, अठारह पापस्थान । दूसरे आवश्यक की आज्ञा तीसरे आवश्यक की आज्ञा 000000 इसके बाद आवश्यक प्रारम्भ होता है - - प्रकट लोगस्स बोलना । दो खमासमणो देना । (खमासमणो की विधि आवश्यक सूत्र पृ० ४८-५० पर दी है ।) चौथे आवश्यक की आज्ञा कायोत्सर्ग में बोला गया पाठ 'मिच्छामि दुक्कडं ' सहित खुला बोलना अर्थात् आगमे तिविहे, अरहंतो महदेवो, छह काय की यतना, ५ महाव्रत, रात्रि भोजन विरमण, पांच समिति तीन गुप्ति, संलेखना १२५ अतिचारों का समुच्चय पाठ, मूलगुण आदि पाठ । अठारह पापस्थान तथा तस्स सव्वस्स का पाठ । इसके बाद श्रमण - सूत्र की आज्ञा लेना । इस समय गुरुजनों को वंदना करना। फिर दाहिना (जीमणा) घुटना खड़ा रखते हुए ये पाठ बोलना नमस्कार सूत्र, करेमि भंते, चत्तारि मंगलं, इच्छामि पडिक्कमिउं, आलोचना सूत्र, ज्ञानातिचार सूत्र, दर्शन सम्यक्त्व का पाठ, श्रमण सूत्र के पाँचों पाठ, क्षमापना सूत्र फिर द्वादशावर्त्त गुरु वंदन सूत्र बोलना । पांच पदों की वंदना, अनन्त चौबीसी आदि दोहे, आयरिय उवज्झाए आदि तीन गाथाएं, 'चौरासी लाख जीवयोनि, अठारह पाप स्थान । पाँचवें आवश्यक की आज्ञा प्रायश्चित्त का पाठ, नमस्कार सूत्र, इच्छामि ठामि, तस्स उत्तरी, यथायोग्य लोगस्स का कायोत्सर्ग, कायोत्सर्ग विशुद्धि का पाठ, प्रकट लोगस्स, दो खमासमणो । 1 Jain Education International - - २०३ *** छठे आवश्यक की आज्ञा गुरुदेव को वंदना कर बड़ों से प्रत्याख्यान करना, प्रतिक्रमण का समुच्चय पाठ बोल कर दो णमोत्थुणं देना फिर गुरुजनों को वंदन करना । इच्छामि णं भंते, * देवसिय और राइय प्रतिक्रमण में चार लोगस्स, पक्खिय १२, चाउम्मासिय २० सांवच्छरिय ४०. लोगस्स का कायोत्सर्ग करना । For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004176
Book TitleAavashyak Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages306
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size6 MB
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