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________________ प्रत्याख्यान - प्रत्याख्यान सूत्र १२९ विवेचन - यह 'नमस्कार सहित' प्रत्याख्यान का सूत्र है। नमस्कार सहित का अर्थ है - सूर्योदय से लेकर दो घड़ी दिन चढ़े तक अर्थात् मुहूर्त भर के लिए, बिना नमस्कार सूत्र पढ़े आहार ग्रहण नहीं करना। इसका दूसरा नाम 'नमस्कारिका' भी है। आजकल साधारण बोलचाल में 'नवकारसी' कहते हैं। संस्कृत का 'आकार' ही प्राकृत भाषा में 'आगार' है। आकार का अर्थ होता है अपवाद। अपवाद का अर्थ है कि यदि किसी विशेष स्थिति में त्याग की हुई वस्तु सेवन कर ली जाय तो भी प्रत्याख्यान का भंग नहीं होता। नवकारसी के दो आगार हैं - १. अनाभोग और २. सहसाकार। १. अनाभोग का अर्थ है - अत्यन्त विस्मृति। प्रत्याख्यान लेने की बात सर्वथा भूल जाय और उस समय अनवधानता वश कुछ खा पी लिया जाय तो वह अनाभोग आगार की मर्यादा में रहता है। ___२. सहसाकार - मेघ बरसने पर अथवा दही आदि मथते समय अचानक ही जल या छाछ आदि का छींटा मुख में चला जाय। - अनाभोग में तो खाने का प्रयत्न कर खाया जाता है। सहसाकार में प्रत्याख्यान की स्मृति रहती है। खाने का प्रयत्न नहीं किया जाता। . २. पौरुषी उग्गए सूरे पोरिसिं पच्चक्खामि, चउब्विहं पि आहारं-असणं, पाणं, खाइम, साइमं। अण्णत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, पच्छण्णकालेणं, दिसामोहेणं, साहुवयणेणं, सव्वसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरामि । कठिन शब्दार्थ - पच्छण्णकालेणं - प्रच्छन्नकाल, दिसामोहेणं - दिशा मोह, साहुवयणेणं - साधु वचन, सव्वसमाहिवत्तियागारेणं - सर्व समाधि प्रत्ययाकार। भावार्थ - सूर्योदय से पौरुषी (प्रहर दिन तक) का प्रत्याख्यान करता हूँ। अशन, पान, खादिम, स्वादिम, चारों ही आहार का अनाभोग, सहसाकार, प्रच्छन्नकाल, दिशामोह, साधुवचन, सर्वसमाधिप्रत्ययकार आगारों में सिवाय त्याग करता हूँ। - विवेचन - सूर्योदय से लेकर एक पहर दिन चढ़े तक चारों प्रकार के आहार का त्याग करना, पौरुषी प्रमाण प्रत्याख्यान है। पौरुषी का शाब्दिक अर्थ है - पुरुष प्रमाण छाया। एक Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004176
Book TitleAavashyak Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages306
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size6 MB
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