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________________ प्रतिक्रमण - तेतीस बोल का पाठ ११. प्रतिमाधारी साधु, सूर्योदय से सूर्य के अस्त होने तक विहार करे, बाद में एक कदम भी चले नहीं। ___ १२. प्रतिमाधारी साधु को सचित्त पृथ्वी पर बैठना या सोना कल्पे नहीं तथा सचित्त रज लगे हुए पैरों से गृहस्थ के यहाँ गोचरी जाना कल्पे नहीं। ____१३. प्रतिमाधारी साधु, प्रासुक जल से भी हाथ पाँव और मुंह आदि धोवे नहीं, अशुचि का लेप दूर करने के लिए धोना कल्पता है। १४. प्रतिमाधारी साधु के मार्ग में हाथी, घोड़ा अथवा सिंह आदि जंगली जानवर सामने आये हों तो भी भय से रास्ता छोड़े नहीं, यदि वह जीव डरता हो, तो तुरंत अलग हट जावे तथा रास्ते चलते धूप में से छाया और छाया से धूप में आवे नहीं और शीत-उष्ण का उपसर्ग समभाव से सहन करे।। दूसरी प्रतिमा एक मास की, जिसमें दो दाति अन्न और दो दाति पानी लेना कल्पता है। तीसरी प्रतिमा एक मास की। जिसमें तीन दाति अन्न और तीन दाति पानी लेना कल्पे। इसी प्रकार चौथी, पाँचवीं, छठी और सातवीं प्रतिमा भी एक-एक मास की है। इनमें .. क्रमशः चार दाति, पांच दांति, छह दाति और सात दाति आहार पानी लेना कल्पे। आठवीं प्रतिमा सात दिन की। चौविहार एकान्तर तप करे, ग्राम के बाहर रहे, इन तीन आसन में से एक आसन करे-चित्ता सोवे, करवट (एक बाजु पर) सोवे, पलांठी लगा कर सोवे। परीषह से डरे नहीं। - नौवीं प्रतिमा सात दिन की ऊपर प्रमाणे। इतना विशेष कि इन तीन आसन में से एक आसन करे-दण्ड आसन, लकुट आसन या उत्कट आसन। .. - दसवीं प्रतिमा सात दिन की, ऊपर प्रमाणे। इतना विशेष कि इन तीन में से एक आसन करे-गोदुह आसन, वीरासन और अम्बकुब्ज आसन। ग्यारहवीं प्रतिमा एक दिन रात की। चौविहार बेला करे, गांव बाहर पांव संकोच कर और हाथ फैलाकर कायोत्सर्ग करे। बारहवीं प्रतिमा एक रात की। चौविहार तेला करे। गांव के बाहर शरीर वोसिरावे, नेत्र खुले रखे, पाँव संकोचे, हाथ पसारे और अमुक वस्तु पर दृष्टि लगाकर ध्यान करे। देव मनुष्य और तिर्यंच सम्बन्धी उपसर्ग सहे। इस प्रतिमा के आराधन से अवधि, मनःपर्यय और केवलज्ञान, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004176
Book TitleAavashyak Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages306
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size6 MB
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