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________________ ( क + ङस् ) ( ज + ङस् ) ( त + ङस् ) 53. ङेहिं 6/7 54. ( क + ङि) + ङि) ( त + ङि) こ こ こ स्सा (स्सा) 1/1 से (से) 1/1 52. ईद्भ्यः स्सा से 6/6 ईद्भ्यः (ईत्) 5/3 ईकारान्त शब्दों से परे 'स्सा' और 'से' (होते हैं) । किं, यत्, तत् के ईकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों की, जी, ती से परे ङस् (षष्ठी एकवचन के प्रत्यय) के स्थान पर विकल्प से 'स्सा' और 'से' होते हैं। (की + ङस् ) = (की + स्सा, से) = ( जी + स्सा, से). ( षष्ठी एकवचन ) किस्सा', कीसे जीसे ( षष्ठी एकवचन ) (जी + ङस् ) (ती + ङस् ) (ती + स्सा, से) तिस्सा', तीसे ( षष्ठी एकवचन ) 1. संयुक्ताक्षर के कारण की, जी, ती हस्व हुए हैं । मनोरमा टीका के आधार पर) Jain Education International こ S こ ( क + आस) ( ज + आस) ( त + आस ) S ङेहि { (डे) + (हिं) ङे: (ङि) 6/1 हिं (हिं) 1/1 ङि के स्थान पर 'हिं' (होता है ) । किं →क, यत् → ज, तत् →त से परे ङि (सप्तमी एकवचन के प्रत्यय) के स्थान पर विकल्प से 'हिं' होता है । ( क + हिं) (ज़ + हिं) ( त + हिं) वररुचिप्राकृतप्रकाश ( भाग - 1 ) こ = S こ S こ कास (षष्ठी एकवचन) जास (षष्ठी एकवचन) तास (षष्ठी एकवचन ) = जिस्सा', こ कहिं जहिं तहिं आहे इआ काले 6/8 आहे (आहे) 1/1 इआ (इआ ) 1/1 काल (अर्थ) में 'आहे' और 'इआ' (होते हैं) । किंक, यत् → ज, तत् त से परे सप्तमी एकवचन में काल अर्थ में 'आहे' और 'इआ' होते हैं । (सप्तमी एकवचन ) (सप्तमी एकवचन ) (सप्तमी एकवचन) काले (काल) 7/1 For Personal & Private Use Only (29) www.jainelibrary.org
SR No.004169
Book TitleVarruchi Prakrit Prakash Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Seema Dhingara
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2010
Total Pages126
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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