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________________ सप्तमी एकवचन (कहा + ङि) - (कहा + इ, ए ) कहाइ, कहाए (मइ + ङि) : (मइ + अ, आ, इ, ए) : मइअ, मइआ, मइइ, मइए (लच्छी + ङि)- (लच्छी+अ, आ, इ, ए) : लच्छीअ, लच्छीआ, लच्छीइ, लच्छीए (धेणु+ङि) : (धेणु + अ, आ, इ, ए) = घेणुअ, घेणुआ, घेणुइ, घेणुए (बहू + ङि) : (बहू + अ, आ, इ, ए) : बहूअ, बहुआ, बहूइ, बहूए 1. आकारान्त शब्द में अ और आ प्रत्यय नहीं लगेंगे (सूत्र 5/23) 23. नातोऽदातौ 5/23 नातोऽदातौ { (न) + (आतः) + (अत्) + (आतौ) } . न : नहीं आतः (आत्) 5/1 { ( अत्) - (आत्) 1/2} आकारान्त से परे अत्→'अ' और आत्→'आ' नहीं ( होते )। . आकारान्त से परे टा (तृतीया एकवचन का प्रत्यय) , ङस् (षष्ठी एकवचन का प्रत्यय) और ङि ( सप्तमी एकवचन का प्रत्यय) के स्थान पर अत्→'अ', आत्→'आ' प्रत्यय नहीं होते। कहाअ और कहाआ (तृतीया एकवचन में नहीं बनते) . . कहाअ और कहाआ (षष्ठी एकवचन में नहीं बनते) कहाअ और कहाआ (सप्तमी एकवचन में नहीं बनते) 24. आदीतौ बहुलम् 5/24 आदीतौ बहुलम् { (आत्) + (ईतौ) } बहुलम् { (आत्) - (ईत्) 1/2 } बहुलम् (बहुल) 1/1 (आकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों में अन्त्य आ के स्थान पर) आ और ई अधिकतर (होते हैं)। आकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों में अन्त्य आ के स्थान पर आ और ई अधिकतर होते हैं। (हलद्दा, हलद्दी, सुप्पणहा, सुप्पणही) 1. मनोरमा, संजीवनी टीका। (18) वररुचिप्राकृतप्रकाश (भाग - 1) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004169
Book TitleVarruchi Prakrit Prakash Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Seema Dhingara
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2010
Total Pages126
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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