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________________ (अ) =ही । जुझाहि (जुज्झ) विधि 2/1 अक । किं (किं) 1/1 सवि । ते (तुम्ह)4/1 स । जुझण (जुज्झ)3/1 | बज्झयो (अ) = बरिरंग से । अप्पाणं (अप्पाण) 2/1। जइत्ता (जन) संकृ । सुहमेहए [सुहं) + (एहए)] । सुहं (सुह) 111 एहए (एह) व 3/1 अक । 65 अप्पा (अप्प) 1/1 । चेव (अ) = ही। दमेयव्यो (दम) विधिक 1/1 । हु (अ) = ही । खलु (अ)=सचमुच । दुद्दमो (दुद्दम) 1/1 वि । वंतो (दंत) भूक 1/1 अनि । सुही (सुहि) 1/1 वि। होइ (हो) व 3/1 अक । अस्सि (इम) 7/1 । लोए (लोअ) 7/1। परत्थ (अ) =परलोक में । य (अ)= और। 66 वरं (अ)= अधिक अच्छा । मे (अम्ह) 3/1 स । अप्पा (अप्प) 1/1 । बंतो (दंत) भूकृ 1/1 अनि । संजमेण (संजम) 3/1 तवेण (तव) 3/11 य (अ)=और । माऽहं [(मा)+ (अहं)] मा (प्र) = नहीं अहं (अम्ह) 1/1 स । परेहि (पर) 3/2 । दम्मतो (दम्मंतो) कर्म वकृ 1/1 अनि । .. बंधणेहिं (बंधण) 3/2 । वहेहि (वह) 3/2 । य (अ) = और। 67 एगो (प्र) =एक ओर से । विरई (विरइ) 2/1। कुज्जा (कु) विधि 3/1. सक । एगमो (अ) = एक ओर । य (अ)=तथा। पवत्तएं (पवत्तण) 1/1 । प्रसंजमे (असंजम) 7/1। नियत्ति (नियत्ति) 2/1। च (अ) = एक अोर । संजमे (संजम) 7/1 । य (अ)=दूसरी ओर । 1. पंचमी विभक्ति के स्थान पर कभी कभी सप्तमी विभक्ति का प्रयोग होता है। (हेम प्राकृत व्याकरण : 3-136) 68 नारोण (नाण) 3/1 । य (अ) = और । झारणेण (झाण) 3/1 । तवोबलेण (तवोबले) 3/1 । य (अं) = इसका प्रयोग 'और' अर्थ में प्रत्येक शब्द के साथ कर दिया जाता है । बला (क्रिविन) = बलपूर्वक । . निरभंति (निरुभंति) व कर्म 3/2 सक अनि । इन्दिय विसय कसाया [(इन्दिय)-(विसय)-(कसाय) 1/2] । धरिया (धर) भूकृ 1/2 । चयनिका ] . [ 121 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004166
Book TitleSamansuttam Chayanika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2000
Total Pages190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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