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________________ ३४ चोरवेडिया पूर्व देश की चंदेरी नगरी में राजा खरहत्थ राज्य करता था जिसके अम्बदेव, निम्बदेव, मेसा और आस पाल नामक चार पुत्र थे। एक बार यवन सेना ने आकर देश को लूटा तो राजा ने अपने पुत्रों के साथ उसका पीछा किया और यवन सेना को हराकर लूट का धन लौटा लाये । जिसका जिसका धन था, उन्हें दे देने पर भी राजा के पास बहुत धन बच गया पर राजा और राजकुमार संग्राम में काफी घायल हो गए । बहुत उपाय करने पर भी उनके घाव नहीं मिटे । संयोगवश जैनाचार्य श्री जिनदत्तसूरिजीके वहां पधारने पर राजा ने आकर गद गद् स्वर से प्रार्थना की । कृपालु गुरुदेवने एक आज्ञाकारिणी देवी से कह कर उन्हें बिल्कुल निरोग कर दिया । गुरु महाराज के उपदेश से राजा सपरिवार अनेक क्षत्रियों के साथ जैन हुआ, यह सं० ११९२ की बात है । एक वार अम्बदेव ने चोरों को पकड़. कर उनके बेडी डालदी जिससे चोरवेड़िया कहलाये। उनसे सोनी, पीपलिया, फलोदिया, नाणी, धन्नाणी तेजाणी पोपाणी रामपुरिया, कक्कड़, मक्कड़, लुटकण, सीपाणी, भक्कड़, मोलाणी, देवसयाणी, कोबेरा, चगलाणी भट्टारकिया, सद्दाणी आदि शाखाएं क्रमश. हुई । भटनेर गांवमें न्याय करने से निंबदेवके वंशज भटनेरा चौधरी कहलाये। सावणमुखा तीसरे पुत्र भैंसासाह के पांच पुत्रों में ज्येष्ठ कुँवर जी ज्योतिष, शकुनादि के बडे विद्वान थे । उन्हें चित्तौड़ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004163
Book TitleJainacharya Pratibodhit Gotra evam Jatiyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherJinharisagarsuri Gyan Bhandar
Publication Year
Total Pages74
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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