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________________ 68. सयमेव जहादिच्चो तेजो उण्हो य देवदा णभसि। सिद्धो वि तहा णाणं सुहं च लोगे तहा देवो।। सयमेव स्वयं ही जहादिच्चो जिस प्रकार सूर्य .. प्रकाश तेजो उण्हो ताप य और ... देवदा देव [(सयं)+ (एव)] सयं (अ) = स्वयं एव (अ) = ही [(जह)+(आदिच्चो)] जह (अ) = जिस प्रकार आदिच्चो (आदिच्च) 1/1 (तेज) 1/1 (उण्ह) 1/1. . अव्यय (देवदा) 1/1 (णभसि) 7/1 अनि (सिद्ध) 1/1 अव्यय अव्यय (णाण) 1/1 (सुह) 1/1 अव्यय (लोग) 7/1 . अव्यय (देव) 1/1 णभसि सिद्धो आकाश में मुक्त पुरुष तहा उसी प्रकार ज्ञान सुख पादपूरक लोक में और PEE देव अन्वय- जह आदिच्चो णभसि सयं एव तेजो उण्हो य देवदा तहा लोगे सिद्धो वि णाणं च सुहं तहा देवो। अर्थ- जिस प्रकार सूर्य आकाश में स्वयं ही प्रकाश, ताप और देव (है), उसी प्रकार लोक में मुक्त पुरुष भी ज्ञान, सुख और देव (है)। (80) प्रवचनसार (खण्ड-1) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004158
Book TitlePravachansara Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2014
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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