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________________ अध्याय - 5 मालवा की जैन कला भारतवर्ष के अन्य प्रदेशों की भांति मालवा में भी जैन मंदिरों, जैन गुफाओं, जैन मूर्तियों तथा जैन चित्रकला के सुन्दर उदाहरण प्राप्त होते हैं किन्तु इनके लिये 'जैन कला' शब्द देना मुनासिब नहीं है। वास्तव में हमारे देश में कला तो एक ही 'भारतीय कला' के नाम से विकसित हुई है और उसके विकास की मंजिलों में ही बौद्ध, जैन आदि भिन्न रूप से अभिहित होने वाली कलाएं समाहित हैं। बौद्ध अथवा जैन शैली में से कोई भिन्न रूप भारतीय कला का नहीं है। हां प्रतिमा लक्षणों में निःसन्देह कुछ अन्तर पड़ा है। बौद्ध और जैन अथवा अन्य नामों से अभिहित किये जाने वाले अन्य सम्प्रदायों ने भी ब्राह्मण देवताओं को अपने देव वर्ग में सर्वांग से सम्मिलित कर लिया है यद्यपि वे वहां गौण पार्षदों के कार्य संपन्न करते हैं। स्वाभाविक ही उनकी अपनी-अपनी प्रतिमा-लक्षणों सम्प्रदाय विशेष में अधिष्ठित हो जाने के बावजूद बनी रहती है। स्वयं बुद्ध और जिन के कला-प्रकार ब्राह्मण कला से भिन्न नहीं, नयी मुद्राएं उनमें निश्चय उत्पन्न हो जाती है जो परिणामतः मूल और स्कंधारण में भारतीय कला के सांगोपांग विकास को ही अभिव्यक्त करती है। इस पृष्ठभूमि के सन्दर्भ में यहां अध्ययन की सुविधा के लिए 'जैन कला' की संज्ञा अपनाई गयी है। अपने लक्षणों के आधार पर 'जैन मूर्तिकला' अलग हो सकती है, किन्तु वह भी भारतीय कला का ही एक अंग रहेगी। भारतीय कला से अलग उसका अस्तित्व नहीं है। मालवा में जो जैन स्थापत्य, मूर्ति तथा चित्रकला के उदाहरण प्राप्त हुए हैं, उनका विवरण इस प्रकार है स्थापत्य कला : भारतवर्ष में जैन स्थापत्य के प्राचीनतम अवशेष बराबर तथा नागार्जुनी पहाड़ियों की जैन गुफाएं हैं। ये पहाड़ियां गया से 15-20 मील दूर पटना गया रेलवे के बैला नामक स्टेशन से पूर्व ही ओर है। उनकी स्थिति राजगिर की पहाड़ियों के प्रायः ठीक पीछे है। बराबर की गुफाएं अशोक ने तथा नागार्जुनी की गुफाएं उसके पौत्र दशरथ द्वारा आजीवन मुनियों के लिये बनवाई गयी थी। मालवा में जैन मंदिरों तथा जैन गुफाओं के प्राचीन अस्तित्व के विषय 58 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004157
Book TitlePrachin evam Madhyakalin Malva me Jain Dharm Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTejsinh Gaud
PublisherRajendrasuri Jain Granthmala
Publication Year
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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