SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 99
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत् “कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[२०८] / गाथा.||-|| ...... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम् प्रत सूत्रांक/ गाथांक [२०८] दियाणं जाव आसाढाहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं जाव आरोग्गा आरोग्गं दारयं ।। पयाया॥२०८॥तं चेव सवं-जाव देवा देवीओ य वसुहारवासं वासिंसु, सेसं त चारगसोहणं माणुम्माणवणं-उस्सुक्कमाइयट्रिइवडियजूयवजं सर्व भाणिअवं ॥२०९ उसमे णं अरहा कोसलिए कासवगुत्ते णं, तस्स णं पंच नामधिजा एवमाहिजंति तंजहा-उसमे इवा, पढमराया इ वा, पढमभिक्खायरे इ वा, पढमजिणे इ वा, पढमतित्थयरे इवा ॥२१०॥ उसमे णं अरहा कोसलिए दफ्खे दक्खपइण्णे पडिरूवे अल्लीण भद्दए विणीए वीसं पुत्वसयसहस्साई कुमारवासमझे वसइ, वसित्ता तेवद्रिं पुष सहस्साइं रजवासमझे वसइ, तेवदि च पुत्वसयसहस्साई रजवासमझे वसमाणे * लेहाइआओ गणियप्पहाणाओ सउणरुयपज्जवसाणाओ बावत्तरि कलाओ, चउसटुिं । महिलागुणे, सिप्पसयं च कम्माणं, तिन्निवि पयाहिआए उवदिसइ, उवदिसित्ता 55453 दीप अनुक्रम [२०४] ~ 98~
SR No.004148
Book TitleKALP Barsa SOOTRA
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2015
Total Pages145
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size37 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy