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________________ दशाश्रुत० छेदसूत्र अन्तर्गत प्रत सूत्रांक/ गाथांक [१८७] दीप अनुक्रम [१८३] “कल्पसूत्रं (बारसासूत्रं) (मूलम्) मूलं- सूत्र. [१८७] / गाथा.||–|| मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित ......"कल्प ( बारसा) सूत्रम्" मूलम् च वाससहस्साई नव वाससयाइं विइक्कंताई, दसमस्स य वाससयस्स अयं असीइमे संवच्छरे काले गच्छइ ॥ १८७ ॥ १९ ॥ अरस्स णं अरहओ जाव सबदुक्खप्पहीणस्स एगे वासकोडिसहस्से विइक्कंते, सेसं जहा मल्लिस्स- तं च एयं पंचसट्टिं लक्खा चउरासीइं सहस्सा विइक्कता, तंमि समए महावीरो निबुओ, तओ परं नव वाससया विइक्कंता दसमस्स य वाससयस्स अयं असीइमे संवच्छरे काले गच्छइ । एवं अग्गओ जाव सेयंसो ताव दट्ठवं ॥ १८८ ॥ १८ ॥ कुंथुस्स णं अरहओ जाव सवदुक्खप्पहीणस्स एगे चउभागपलिओवमे विइक्कते, पंचसट्ठि वाससयसहस्सा, सेसं जहा मल्लिस्स ॥ १८९ ॥ १७ ॥ संतिस्स णं अरहओ जाव सबदुक्खप्पहीणस्स एगे चउभागूणे पलिओवमे विइकंते पन्नाट्ठि च, सेसं जहा मल्लिस्स ॥ १९० ॥ १६ ॥ ~92~
SR No.004148
Book TitleKALP Barsa SOOTRA
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2015
Total Pages145
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size37 MB
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