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________________ दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत् “कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१४७] / गाथा.||-|| ........ मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.....'कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम् कल्प इमे संवच्छरे काले गच्छइ, वायणंतरे पुण अयं तेणउए संवच्छरे काले गच्छइ । बारसो इइ दीसइ ॥ १४७॥ (क० कि०, क०सु०१४८) । प्रत क सूत्रांक/ गाथांक [१४७] दीप ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं पासे अरा पुरिसादाणीए पंचविसाहे हुत्था, तंजहाविसाहाहिं चुए चइत्ता गब्भं वकंते, विसाहाहिं जाए, विसाहाहिं मुंडे भवित्ता अगा राओ अणगारि पदइए, विसाहाहिं अणंते अणुत्तरे निवाघाए निरावरणे कसिणेश पडिपुण्णे केवलवरनाणदंसणे समुप्पन्ने, विसाहाहिं परिनिव्वुए॥१४९॥ तेणं कालेणं तेणं 18/समएणं पासे अरहा पुरिसादाणीए जे से गिम्हाणं पढमे मासे पढमे पक्खे चित्तबहुले, तस्स णं चित्तबहुलस्स चउत्थीपक्खे णं पाणयाओ कप्पाओ वीसंसागरोयमद्विइयाओ अणंतरं चयं चइत्ता इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे बाणारसीए नयरीए आससेणस्स % अनुक्रम [१५३] ॥३७॥ % अत्र "भगवन् महावीर" चरित्रं पूर्णम्, अथ भ० "पार्श्व" चरित्रं आरभ्यते ~ 79~
SR No.004148
Book TitleKALP Barsa SOOTRA
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2015
Total Pages145
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size37 MB
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