SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 137
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत् “कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ........... मूलं- सूत्र.[४६] / गाथा.||-|| ......... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम् प्रत 6252625 सूत्रांक/ गाथांक [४६] ते य से वियरिज्जा, एवं से कप्पइ गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा जाव पविसित्तए, ते य से नो वियरिजा, एवं से नो कप्पइ भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमि० पविसि ।से। किमाहु भंते!? आयरिया पच्चवायं जाणंति॥४६॥ एवं विहारभूमि वा वियारभूमि वा अन्नं वा जंकिंचि पओअणं, एवं गामाणुगामं दूइजित्तए॥४७॥ वासावासं पज्जोसविए भिक्खू इच्छिज्जा अण्णयरिं विगइं आहारित्तए, नो से कप्पइ से अणापुच्छित्ता आयरियं । वा जाव गणावच्छेययं वा जंवा पुरओ कडे विहरइ, कप्पइ से आपुच्छित्ता आयरियं । जाव आहारित्तए-'इच्छामि णं भंते ! तुम्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे अन्नयरिं विगई आहारित्तए एवइयं वा एवइखुत्तो वा, ते य से वियरिजा, एवं से कप्पइ अण्णयरिं विगई आहारित्तए, ते य से नो वियरिज्जा, एवं से नो कप्पइ अण्णयरिं विगई आहारित्तए, से किमाहु भंते!? आयरिया पच्चवायं जाणंति॥४८॥वासावासं पजोसविए भिक्खू इच्छिज्जा दीप अनुक्रम [३१४] ****** | 'विगईग्रहण संबंधी मर्यादाया; वर्णनं ~ 136~
SR No.004148
Book TitleKALP Barsa SOOTRA
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2015
Total Pages145
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size37 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy