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आगम
(४५)
अनुयोगद्वार”- चूलिकासूत्र-२ (मूलं+वृत्ति:)
.............. मूलं [१२७] / गाथा ||२३...|| .. मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [४५], चूलिकासूत्र - [२] "अनुयोगद्वार" मूलं एवं हेमचन्द्रसूरि-रचिता वृत्ति:
प्रत सूत्रांक
[१२७]
दीप अनुक्रम [१६१]
भिणिबोहिअणाणलद्धी जाव खओवसमिआ मणपजवणाणलद्धी खओवसमिआ मइअण्णाणलद्धी खओवसमिआ सुअअण्णाणलद्धी खओवसमिआ विभंगणाणलद्धी खओवसमिआ चक्खुदंसणलद्धी अचक्खुदंसणलद्धी ओहिदसणलद्धी एवं सम्मदसणलद्धी मिच्छादसणलद्धी सम्ममिच्छादंसणलद्धी खओवसमिआ सामाइअचरितलद्धी एवं छेदोबट्टावणलद्धी परिहारविसुद्धिअलद्धी सुहमसंपरायचरित्तलद्धी एवं चरित्ताचरित्तलद्धी खओवसमिआ दाणलद्धी एवं लाभ० भोग० उवभोगलद्धी खओवसमिआ वीरिअलद्धी एवं पंडिअवीरिअलद्धी बालवीरिअलद्धी बालपंडिअवीरिअलद्धी खओवसमिआ सोइंदिअलद्धी जाव खओवसमिआ फासिंदिअलद्धी खओवसमिए आयारंगधरे एवं सुअगडंगधरे ठाणंगधरे समवायंगधरे विवाहपण्णत्तिधरे नायाधम्मकहा. उवासगदसा० अंतगडदसा० अणुत्तरोववाइअदसा० पण्हावागरणधरे विवागसुअधरे खओवसमिए दिट्रिवायधरे खओवसमिए णवपुवी खओवसमिए जाव
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