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________________ आगम (४०) प्रत सूत्रांक [-] दीप अनुक्रम [-] “आवश्यक”- मूलसूत्र-१ (मूलं+निर्युक्तिः+वृत्तिः) अध्ययनं [-], मूलं [− / गाथा-], निर्युक्ति: [ ४१५], भाष्यं [४३...], पण्णासा लक्खेहिं कोडीनं सागराण उसभाओ । उप्पण्णो अजिअजिणो ततिओ तीसाऍ लक्खेहिं ॥ २ ॥ जिणवसह संभवाओ दसहि उ लक्खेहि अयरकोडीणं । अभिनंदणो भगवं एवइकालेण उप्पण्णो ॥ ३॥ अभिनंदणात सुमती नवहि उ लक्खेहि अपरकोडीणं । उप्पणी सुहपुणो सुप्पभनामस्स वोच्छामि ॥ ४ ॥ उई य सहस्सेहिं कोडीनं सागराण पुण्णाणं । सुमद्दजिणाउ पडमो एवतिकाले उप्पण्णो ॥ ५ ॥ पउमपहनामाओ नवहि सहस्सेहि अयरकोडीणं । कालेणेबद्द एणं सुपासनामो समुप्पण्णो ॥ ६ ॥ | कोडीसएहि नवहि उ सुपासनामा जिणो समुप्पण्णो । चंदप्यभो पभाए पभासयंतो उ तेलोकं ॥ ७ ॥ उईए कोडीहिं ससीउ सुविहीजिणो समुत्पण्णो । सुविहिजिणाओ नवहि उ कोडीहिं सीअलो जाओ ॥ ८ ॥ सीअलजिणाउ भयवं सिज्जंसो सागराण कोडीए । सागरसयऊणाए वरिसेहिं तहा इमेहिं तु ॥ ९ ॥ छब्वीसाऍ सहस्सेहिं चैव छावट्टि सयसहस्सेहिं । एतेहिं ऊणिआ खलु कोडी मग्गिल्लिआ होइ ॥ १० ॥ चडपण्णा अयराणं सिसाओ जिणो उ वसुपुज्जो । वसुपुज्जाओ विमलो तीसहि अयरेहि उप्पण्णो ॥ ११ ॥ Jus Education intimatio For Patenty *% * ~330~ www.brary.org मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित आगमसूत्र [४०], मूलसूत्र [०१] "आवश्यक" मूलं एवं हरिभद्रसूरि-रचित वृत्तिः
SR No.004141
Book TitleAagam 40 AAVASHYAK Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2015
Total Pages1736
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size374 MB
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