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________________ आगम (३६) “व्यवहार” - छेदसूत्र-३ (मूल) ---------- उद्देश: [१] -------- -------- मूलं [७] --------- मनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [३६], छेदसूत्र - [9] "व्यवहार" मूलं प्रत सुत्राक दीप अनुक्रम मिल परसोनिदोमानिय परिहारहाण परिसविता भालोएमा अपलिजशिय आलोएमागस बोमासिय पलितत्रिय आलोएमाणस मासिय ७१ बरसोचिरोमालियं । परिहारहार्य पनिसेविऊन आलोएजा अपलिउशिर्य आलोएमाणस तेमासियं पलिउशिर्ष आलोएमाणस्स पाउम्मासियं । थाबहुसोषि बाजम्मासिय परिहारहाणं पडिसेवित्ता आलोएजा अपलिडत्रिय आलोएमाणमा चाउमासिर्व पतिउत्रिय जालोएमाणस्त पञ्चमासियं ।९।०बहुसोवि पञ्चमासियं परिहाराण परिसेविता आरोएजा अपलिरिचय आरोएमाणस्स पचमासिय पलितप्रिय बालोएमाणस्स सम्मालियं, तेण परं पलिउत्रिय वा अपलिउत्रियं वा ते भेष सम्मासा ।१०। मासिय वा बीमासिय मा तेमासिब ना चाउम्मासिब या पत्रमासिव वा एएसि परिहारहाणार्ण अन्नपरं परिहारहाणं पटिसेविता आलोएमा अपलिउत्रिययं आठोएमाणस्स मासिय या दोमासिय मा मासिय मा चाउ-15 म्मासिय वा पशमासिय बा, पलिचियर्य आरोएमाणस्ता बोभासियं वा तेमासियं वा चाउम्मासिय मा पंचमासिय वा छम्मासियं वा, तेस पर पलिवंचिए या अपरिचिए या ते पेष छम्मासा । ११॥ जे पहुसोचि मालियं या दोमासिब चा छम्मासा ५१०१।१२।जे भिक्षु चाउम्मासियं वा साइरेगचाउम्मासिव वा पंचमासिय मा सारेगपंचमासिय पा एएसि परिहारहाणा अभयर परिहारहाण पडिसेमिना बालोएगा, अपलिउंधियय आलोएमाणस चाउम्मासियं या साइरेगचाउम्यासियं या पंचमासिय मा सारेगपंचमासिय मा पलिचियर्थ जालोएमाणस पंचमासियं वा साइरेगपंचनासिब बा उम्मासियं वा, तेम पर पलिचिए वा अपलिउंथिए पा से चेष सम्मासा । १३॥ जे मिक्स् मासोवियाउमासिय बा.९४१ साइरेगचाडम्यासिय मा। १५० पंचमासिथ मारा साइरेगपंचमासिर्ष मा।१७ एवं चेष माणियां जा एम्मासा ५३५१११८ाजे भिक्यू पाउमासियं मा लापरे गाउम्मासि या पंचमासियं वा साइरेगपंचमासि वा एएस परिहाहाणार्ण अभय परिहारवा पडिसेवित्ता आलीएजा, अपलिडचिव आलोएमागस उपषियं पाता करणिय वाचढिय, उपिएपि पटिसेविया सेवि कलिने सत्येष आहेय सिया पुष्टि पटिसेपियं पुरिजालोइयं, पुर्षि पढिसेवियं पणा आलोय, पच्या परिसेविय पुरिजालोर पच्या पहिलेविध पच्छा आलोवर्ग, अपरिचिए अपलिजविर्थ, अपलिभिएपरिचिय, पलिथिए अपलिलचिय, पलिउँचिए पलिउँचिय, आलोएमाणस्स सामेयं सकर्ष साहणिय जे एयाए पदवणाए पहथिए निधिसमाणे पहिसेवेद सेविकसिने नत्येन आम्हेयो लिया। १९॥ एवं बहसोधिजे मिक्स चाउम्यासिय वा साइरेगचाउम्मासिय गा पंचमासिय था साइरेगपंचमासिष वा एएसि परिहारहाणाणं जन्मपरं परिहारहाणं पडिसेविचा बालीएजा पलिउंचियं आलोएमाणस्त उपविगं ठहत्ता कामिन बेवापदिय जाप पच्छा पडिसेविध पच्छा पालोय जाप पलिथिए आलोएमागरस सबमे सकर्य साहम्पिर्ष आम्हेपाई शिया, एवं अपलिउंचिए ६०१११२०1जे मिक्स्चाउम्यासिय मा आलोएमा पनि चिर्य जालोएमाणसः परिचिए पलिजविर्य, पलिचिए पलिउचिव आलोएमाणस्त आव्हेयके शिया २१॥ जे भिक्ख मधुसोषिचाउम्मासिय वा बहसोविसाजरेगा आदि यो सिवा ६२।२२ मा पारिहारिया बहवे अपारिहारिया योगा एगयओ अनिनिसेज वाजमिनिसीहिय या पालए मो से कप्पाह परे अमाश्चिात्ता एमयमओ अमिनिसेज। ना अभिनिसीहिय या पेहत्तए, कापडसेमेरे आपुनिछत्ता एगपो अमिनिसेल वाजमिनिसीहियं चाहतए, पेशवाई से पियरेना एवं पंकणा एनयओ अभिनिरोज या अभिनिसीहियं वा पेशवए, पेरा यई से नो वियरेजा एवंनो कणाद एगवजो अभिनितेजपा अभिनिसीहिया चहत्तए, जो बेरोहिं अविहन अमिनिसेवा समिनिसी. हियं वा एड से सन्तराए वा परिहारे वा '६९३।२३। परिहारकप्पहिए भिषण पहिया बेरार्ण गेयाचडियाए गच्मा , राय से सरेना कह से एमरावमाए पकिमाए जण जर्ण विसं अने साहम्मिया विहरति तय सणं दिसे उबलिनए, नो से कप्पा तत्व निवारयनिय पत्याए, कपासे तत्व कारणबत्ति बाधाए, संसिपणं कारपंसि मिद्वियसि पोर वएना 'वसाहि असो! एगराध वा दुराया एवं से कप्पड एगरायं वा दुराय वा वायए, नो से कप्त एगरायायो वा दुरागाओ वा पर पसिनए, जो वत्य एम. दुराः परं कसा से सन्तरा ए वा परिहार या ।२४ा परिहारक पहिए भिक्यू बहिया घेराम याचडियाए गशेजा, भेना य से नो सरेशा, कणा से निविसमाणस एगशाचाए परिमाए जन्म जगणं दिसं जाच नस्य एगरायाओ या बुरायाओ पर बसाइ से सन्तरा ए बा परिहारे वा '७६७।२५/ परिहारकापडिए मिक्सपहिया राय थावडिपाए गोला मेराय से सरेशा बानो सरेना मा कापा से निविसमाणस एगराइयाए जाप ए वा परिहारे वा ।२६ मिक्सू परणामो अवधम्म एकाविहारपडिम उपसंपविताण विहरेजा, सेयजा बोय. पितमेष गणं उपसंपनिलार्ग निहरितए, पुणो बालोएमा पुगो पडिकमेजा युगो जेवपरिहाररस उवदाएजा ।२७। एवं गणावयाए पा॥२८एवं आपरिए । २५॥ एवं उपसाए मिषलूचगणाओ अचम्म पासायनिहारे विहरेजा, से वाहनांना दोमंपि तमेव गर्ष उपसंपजिवाणं चिरितए, अस्थि पाई थ से पुनो भाटोएमा पुनो परिकमेमा पुगी मुनिटीपरमार कककककककर पर Shl.bad+STHAT ~5~
SR No.004136
Book TitleAagam 36 VYAVAHAAR Moolam evam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2015
Total Pages17
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_vyavahara
File Size5 MB
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