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________________ आगम (१४) “जीवाजीवाभिगम" - उपांगसूत्र-३ (मूलं+वृत्ति:) प्रतिपत्ति : [३], ------- ------------ उद्देशक: [(द्विप्-समुद्र)], -------- ---------- मूलं [१६७-१६९] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१४], उपांग सूत्र - [३] "जीवाजीवाभिगम" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति: A प्रत सूत्रांक M-4-04- [१६७ -१६९] NGANAGARMANCR दीप अनुक्रम [२१७-२१९] कमेणं जाच रायहाणीओ सगाणं दीवाणं पञ्चत्यिमेणं देवोदगं समुदं असंखेजाई जोयणसहस्साई ओगाहित्ता गुत्थ णं देवोदगार्ण चंदाणे चंदाओ णामं रायहाणीओ पपणत्ताओ, तं चेव सवं, एवं सूराणवि, णवरि देवोदगस्स पञ्चस्थिमिल्लातो वेतियंतातो देवोदगसमुदं पुरस्थिमेणं वारस जोयणसहस्साई ओगाहित्ता रायहाणीओ सगाणंदीचाणं पुरथिमेणं देवोदगं समुदं असंखेजाई जोयणसहस्साई । एवं णागे जस्खे भूनेवि चउहं दीवसमुदाणं । कहि णं भंते! सयंभूरजणदीवगाणं 'चंदाणं पंददीया णानंदीचा पगणता?, सयंभुरभणस्स दीवस्स पुरस्थिमिछातो धेनियंतातो लयंभुरमणोदगं सई वारन जोषणलहस्साई तहेव रायहाणीओ सगाणं २ दीवाणं पुरथिनेणं सयंभुरमणो नमुदं पुरन्थिमेणं असंखेजाई जोयण घेव, एवं सूराणवि, लयं. रमणरस पशस्विमिल्लानो बेदियंतागो रायहाथीको सकाणं २ दीवाणं पञ्चस्थिमिल्लाणं मयंभुरमणोद साई असंखेजा सेसं तं चेव । काहिक अंते! सयंभूरमणसमुहकाणं चंदाणं, सयंभुरमणस सहस्स पुरस्थिमिल्लाओ वेलियंतातो लयंभुरमणं समुई पचस्थिभेणं वारस जोयणसरहस्साई ओगाहित्ता, सेसं तं चेव । एवं राणावि, सयंभुरमणस्स पञ्चत्धिमिल्लाओ सयंभुरमणोदं समुदं पुरथिमेणं वारस जोयणसहस्साई ओगाहित्ता रायहाणीओ सगाणं दीवाणं पुरथिमेणं सयंभुरमणं समुई असंखेजाई जोयणसहस्साई ओगाहित्ता, एत्थ णं सर्पभुरमण जाव सूरादेवा WIMIRE 4-4-CARNAKACA ~642~
SR No.004114
Book TitleAagam 14 JIVAJIVABHIGAM Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages938
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size230 MB
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