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________________ आगम (१३) मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.. Jan Educator 19) 800) 2008-04-14) “राजप्रश्निय”- उपांगसूत्र - १ (मूलं + वृत्तिः ) शाश्वत जिन - प्रतिमायाः पूजनं मूलं [४३-४४] आगमसूत्र [१३], उपांग सूत्र [२] "राजप्रश्नीय" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्तिः संपत्ता, बदइ नमसह २ ता जेणेव देवच्छंदए० जेणेव सिद्धायतणस्स बहुमज्झदेस भाए तेणेव उवागच्छ २त्ता लोमहत्थगं परामुसइ २ सिद्धायतणस्स बहुमज्झदेस भागं लोमहत्येगं पमज्जति, दिवाए दुगधाराए अक्खेड़, सरसेणं गोसीसचंदणेणं पंचगुलितलं मंडलगं आलिहइ २ कयग्गाहगहियं जावपुंजीवयारकलिये करेइ करेता धूवं दलयइ, जेणेव सिद्धायतणस्स दाहिणिल्ले दारे तेव उवागच्छतिलोमहत्थगं परामुखइ २ त्ता दारचेडीओ य सालभंजियाओ य वालरूवए य लोमहत्यए गं पम नइ २ ता दिखाए दुगधाराए अन्भुक्खेइ २ सरसेनं गोसीसचंदणेणं चच्चए दलयह दलहत्ता पुष्कारहणं म ला जाब आभरणारुहणं करेइ करेता आसत्तोसत्त जाव घूषं दलयह २ त्ता जेणेव दाहिणिल्ले दारे मुहमंडवे जेणेव दाहिणिल्लस्स मुहमंडवस्स बहुमज्झदेसभाए तेणेव उवागच्छ २त्ता लोमहत्थगं परामुस २ सा बहुमज्झदेस भागं लोभहत्येणं पमजइ २ ता दिवाए दगधारा अमुक २ सरसे गोसीसचंदणं पंचगुलितलं मंडलगं आलिहइ २ कयग्गाहगहिय जाब घूवं दलयत्ता जेणेव दाहिणिल्लरस मुहमंडस्स पचत्थिमिले दारे तेथेव उवागच्छ ता लोमहत्व पर मुसह २ सा दारचेडीओ य सालिभंजियाओ व बालरूपए य लोमहत्येणं' पमज़ाइ २ ता दिवाए दगधाराए० सरसेगं गोसीसचंद चचए दलह २ पुप्फारुहणं जाव, आभरणारुहणं करेह २ आसतोसत्त० कपगाहग्गाहियं० धूवं दलयइ २ ता जेणेव दाहि गिल्लमुहमंडवस्स उत्तरिल्ला For Pasta Lise Only ~ 214~ nary.org
SR No.004113
Book TitleAagam 13 RAJPRASHNIYA Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages304
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_rajprashniya
File Size66 MB
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