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________________ आगम (१२) “औपपातिक” - उपांगसूत्र-१ (मूलं+वृत्ति:) ----------- मूलं [४१] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१२], उपांग सूत्र - [१] "औपपातिक" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: जीवोपर प्रत सूत्रांक सू०४१ -1-501- [४१] 25 दीप अनुक्रम औपपा-वेसेसु मणुया भवंति, तंजहा-अप्पारंभा अप्पपरिग्गहा धम्मिया धम्माणुया धम्मिा धम्मखाई धम्मप्प- तिकम् लोइया धम्मपलज्जणा धम्मसमुदायारा धम्मेणं चेव वित्ति कप्पेमाणा सुसीला सुध्वया सुप्पडियाणंदा साहू॥१०॥ साहिएकचाओ पाणाइवायाओ पडिविरया जावज्जीवाए एकचाओ अपडिविरया एवं जाव परिग्गहाओ' एकचाओ कोहाओ माणाओ मायाओ लोहाओ पेजाओ कलहाओ अभक्खाणाओ पेसुपणाओ परपरिवायाओअरतिरतीओमायामोसाओमिच्छादसणसल्लाओ पडिविरया जावजीवाए एकच्चाओ अपडिविरया,एकच्चाओ आरंभसमारंभाओ पडिविरया जावजीवाए एकच्चाओं अपडिविरया, एकच्चाओ करणकारावणाओ। पडिविरया जायजीवाए एकचाओ अपडिविरया एगच्चाओपयणपयावणाओपडिविरया जावजीवाए एकचाओ पयणपयावणाओ अपडिविरया, एकचाओ कोहणपिट्टणतजणतालणवहबंधपरिकिलेसाओ पडिविरया जावजीवाए एकचाओ अपडिचिरया, एकचाओ पहाणमद्दणवण्णगविलेवणसहफरिसरसरूवगंधमलालंकाराओ पडिविरया जावजीवाए एकचाओ अपडिविरया, जेयावण्णे तहप्पगारा सावजजोगोवहिया कम्मंता परपा णपरियावणकरा कजंति तओ जाव एकचाओ अपडिविरया तंजहा-समणोवासगा भवंति, अभिगयजी वाजीवा उबलद्धपुषणपावा आसवसंवरनिजरकिरियाअहिगरणबंधमोक्खकुसला असहेज्जाओ देवासुरणागजक्खरक्खसकिन्नरकिंपुरिसगरुलगंधब्वमहोरगाइएहिं देवगणेहिं निग्गंधाओ पावयणाओ अणइक्कम १ प्रतिविरतापतिविरतत्वसूचनार्थमेष द्विकः, [५१] 25 ॥१०४॥ ~211~
SR No.004112
Book TitleAagam 12 AUPAPAATIK Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages244
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_aupapatik
File Size53 MB
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