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________________ आगम (०६) “ज्ञाताधर्मकथा” - अंगसूत्र-६ (मूलं+वृत्तिः ) श्रुतस्क न्धः [१] ------------------ अध्य यन [१], ----------------- - मूलं [१८-२१] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [०६], अंग सूत्र - [०६] "ज्ञाताधर्मकथा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: कथाक्रम. प्रत सूत्रांक [१८-२१] पाज णबोलेइ वा जणकलकलेह वा जणुम्मीइ वा जणुकलियाइ वा जणसनिवाएइ वा बहुजनो अन्नमवस्स एवमाइक्खइ एवं शिक्ष पनवेइ एवं भासइ एवं परूवेइ-एवं खलु देवाणुप्पिया! समणे ३ आइगरे तित्थगरे जाव संपाविउकामे पुवाणुशुचि चरमाणे | ज्ञाते श्री गामाणुगामं दूइजमाणे इहमागए इह संपत्ते इह समोसढे इहेव रायगिहे नगरे गुणसिलए चेइए अहापडिरूवं उग्महं उग्गि-18 वीरसम॥४४॥ हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरह-तं महाफलं खलु भो देवाणुप्पिया! तहारूवाणं अरहंताणं भगवंताणं नाम-18वसरणं |गोयस्सपि सवणयाए किमंग पुण अभिगमणवंदणणमंसणपडिपुच्छणपत्रुवासणयाए, एगस्सपि आयरियस्स धम्मियस्सीस.२१ सुवयणस्स सवणयाए किमंग पुण विउलस्स अट्ठस्स गहणयाए, तं गच्छामो णं देवाणुप्पिया! समर्ण भगवं महावीरं वंदामो नमसामो सकारेमो सम्माणेमो कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जवासामो एवं नो पेञ्चमवे हियाए सुहाए खमाए निस्सेसाए। अणुवामित्ताए भविस्सइत्तिककुत्ति 'बहवे उग्गा' इह यावत्करणादिदं द्रष्टव्यं-उग्ग'चा भोगा भोगपुत्ता एवं राइना खत्तिया माहणा भडा जोहा मल्लई लेच्छाई अमेय बहवे राईसरतलवरमाडबियकोईवियइब्भसेडिसेणावहसत्यवाहप्पभियजओ अप्पेगइया NI बंदणवत्तियं अप्पेगइया पूयणवत्तिय एवं सकारवचियं सम्माणवत्तियं कोउहल्लवत्तिय असुयाई सुणिस्सामो सुबाई निस्संकियाई। करिस्सामो अप्पे० मुंडे भविता आगाराओ अणगारियं पवइस्सामो अप्पे० पंचाणुबइयं सत्चसिक्खावइयं दुवालसषिदं गिदिधम्म पडिबज्जिस्सामो अप्पेगइया जिणभत्तिरागेणं अपेगइया जीयमेयंतिकट्ठ ण्हाया कयबलिकम्मा कयकोउयमंगलपायच्छिता सिरसाकंठेमालकडा आविद्धमणिसुवन्ना कप्पियहारहारतिसरयपालंबपलंचमाणकडिसुत्तयमुकयसोभाभरणा पवरवत्थपरिहिया चंदणीबलिचगायसरीरा अप्पेगइया हयगया एवं गयरहसिवियासंदमाणिगया अप्पेगइया पायविहारचारिणो पूरिसवग्गुरापरिखिचा 8380902 दीप अनुक्रम [२५-३०] For P OW ~91~
SR No.004106
Book TitleAagam 06 GYATA DHARM KATHA Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages512
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size109 MB
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