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________________ आगम (०६) “ज्ञाताधर्मकथा” - अंगसूत्र-६ (मूलं+वृत्तिः ) श्रुतस्कन्ध: [१] ----------------- अध्ययनं [१], ----------------- मूलं [२४] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [०६], अंग सूत्र - [०६] "ज्ञाताधर्मकथा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: प्रत सूत्रांक [२४] दीप लउडभिंडिमालधणुपाणिसजं पायत्ताणीयं पुरओ अहाणुवीए संपट्ठियं, तए णं से मेहे कुमारे हारोत्थयसुकयरइयवच्छे कुंडलुओइयाणणे मउडदिचसिरए अमहियरायतेयलच्छीए दिप्पमाणे सकोरेंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिजमाणेणं सेयवरचामराहिं उडुबमाणी[हिं हयगयपवरजोहकलियाए चाउरंगिणीए सेणाए समणुगम्ममाणमग्गे जेणेव गुणसिलए चेहए तेणेच पहारेत्थ गमणाए, तए णं तस्स मेहस्स कुमारस्स पुरओ महं आसा आसघरा उभओ पासे नागा नागधरा करिवरा पिट्टओ रहा रहसंगेली, तए णं से मेहे कुमारे अब्भागभिंगारे पग्गहियतालियंटे उसवियसेयरछत्ते पवीजियवालवियणीए सबिड्डीए सबजुईए सबबलेणं सबसमुदएणं सबा-1 &दरेणं सबविभूईए सबविभूसाए सबसंभमेणं सवगंधपुष्फमल्लालंकारेणं सबतुडियसहसन्निनाएणं महया इड्डीए महया जुईए महया | बलेणं महया समुदएणं महया वरतुडियजमगसमगषवाइएणं संखपणवपडहभेरिझहरिखरमुहि हुडुकमुरखमुइंगदुंदुभिनिग्धोसनाइयरवेणं रायगिहस्स नगरस्स मझमझेणं णिग्गच्छइ, तए णं तस्स मेहस्स कुमारस्स रायगिहस्स नगरस्स मॉमजलेणं निग्ग च्छमाणस्स बहवे अत्थत्थिया कामस्थिया भोगत्थिया लाभत्थिया किदिबसिया करोडिया कारवाहिया संखिया चकिया लंगकालिया मुहमंगलिया पूसमाणवा बद्धमाणगा ताहिं इवाहि कंताहिं पियाहि मणुनाहि मणामाहिं मणाभिरामाहि हिययगमणि-18 आर्हि वगृहि'ति, अयमस्वार्थ:-सदनन्तरं च छत्रस्योपरि पताका छत्रपताका सचामरा-चामरोपशोभिता तथा दर्शनरतिदादृष्टिसुखदा आलोके-रष्टिविषये क्षेत्रे स्थिताऽत्युच्चतया दृश्यते या सा आलोकदर्शनीया, ततः कर्मधारयः, अथवा दशेने-- रष्टिपथे मेघकुमारस्य रचिता-धृता या आलोकदर्शनीया च या सा तथा, वातोद्भुता विजयभूचिका च या वैजयन्ती-पताका-1 विशेषः सा तथा, सा च ऊसिया-उच्छ्रिता ऊकृता पुरत:-अग्रतः यथानुपूर्वी-क्रमेण सम्पस्थिता-प्रचलिता, 'भिसंत'त्ति अनुक्रम [३३] मेघकुमारस्य राज्याभिषेक एवं दीक्षा ~118~
SR No.004106
Book TitleAagam 06 GYATA DHARM KATHA Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages512
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size109 MB
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