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________________ आगम (०५) प्रत सूत्रांक [१६५] दीप अनुक्रम [१९४] “भगवती”- अंगसूत्र-५ (मूलं + वृत्तिः) शतक [३], वर्ग [-], अंतर् शतक [-], उद्देशक [७], मूलं [ १९६५ ] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित Jan Emuratur आगमसूत्र - [०५], अंग सूत्र [०५] "भगवती मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्तिः विमाणस्स पुरच्छिमेणं सोहम्मे कप्पे असंखेजाई जोयणाई वीतिवइत्ता एत्थ णं सकस्स देबिंदस्स देवरन्नो सोमस्स महारनो संझप्पने नाम महाविमाणे पण्णत्ते अद्धतेरस जोयणसय सहस्सा आयामविक्खंभेणं उयालीसं जोपणसपसहस्साई बावनं च सहस्साई अह य अडयाले जोयणसए किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं प० जा सूरियाभविमाणस्स वक्तब्वया सा अपरिसेसा भाणियव्वा जाव अभिसेयो नवरं सोमे देवे ॥ संझ|प्पभस्स णं महाविमाणस्स अहे सपर्विख सपडिदिसिं असंखेनाइं जोयणसयसहस्सा ओगाहित्ता एत्थ गं सकस्स देविंदस्स देवरत्नो सोमस्स महारनो सोमा नामं रायहाणी पण्णत्ता एवं जोपणसय सहस्सं आयामविक्खंभेणं जंबूदीपमाणे (ण) वैमाणियाणं पमाणस्स अर्द्ध नेपच्वं जाव उवरिय लेणं सोलस जोयणसहस्साई आयामविक्खंभेणं पन्नासं जोयणसहस्साई पंच य सत्ताणउए जोयणसते किंचिविसेसूणे परिक्खेवेणं पण्णत्ते, पासायाणं चत्तारि परिवाडीओ नेयब्बाओ, सेसा नत्थि । सकस्स णं देविंदस्स देवरन्नो सोमरस महारत्नो इमे देवा आणाश्ववायवयणनि देसे चिट्ठंति, तंजहा- सोमकाइयाति वा सोमदेवकाइयाति वा विजुकुमारा विजुकुमारीओ अग्गिकुमारा अग्गिकुमारीओ वाउकुमारा वाउकुमारीओ चंदा सूरा गहा णक्खत्ता तारारूवा जे पावन्ने तहप्पगारा सव्वे ते तम्भक्तिया तप्पक्खिया तब्भारिया सफरस देविंदस्स देवरन्नो सोमस्स महारत्नो आणाश्ववायवयणनिद्देसे चिठ्ठति ॥ जंबूदीये २ मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं जाई इमाई समुप्पजंति, तंजहा गहदंडाति वा गहमुसलाति वा गहगज्जियाति वा, एवं गृहयुद्धाति वा गहसिंघाडगाति वा सोम-लोकपालस्य वर्णनं For Parts Only ~394~
SR No.004105
Book TitleAagam 05 BHAGVATI Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages1967
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size424 MB
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