SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 390
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आगम (०५) "भगवती”- अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:) शतक [३], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-], उद्देशक [६], मूलं [१६२-१६३] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [०५], अंग सूत्र - [०५] "भगवती मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: प्रत सूत्रांक [१६२-१६३] दीप अनुक्रम [१९१ व्याख्या-18/ रूवाई जाणइ पासइ, हता, से भंते! किं तहाभाचं जाणइ पासइ अन्नहाभा जाणति पासति, गोयमा शतके प्रज्ञप्तिः तहाभावं जाणति पासति नो अन्नहाभाव जाणति पासति, से केणद्वेणं भंते! एवं वुचइ ?, गोयमा ! तस्स णं | सम्यग्मिअभयदेवी-||एवं भवति-एवं खलु अहं रायगिहे नगरे समोहणित्ता वाणारसीए नगरीए रूवाई जाणामि पासामि, से ISRO यावृत्तिः१ से दसणे अविवचासे भवति, से तेजटेणं गोयमा! एवं बुद्धति, बीओ आलावगो एवं चेव नवरं वाणार- मुदपातेत॥१९॥ सीए नगरीए समोहणा नेयब्बा रायगिहे नगरे स्वाईजाणइ पासइ । अणगारे णं भंते ! भावियप्पा अ-॥४थ्यातथ्यौपमाई सम्मदिट्ठी वीरियलडीए वेउब्वियल द्वीए ओहिनाणलडीए रायगिह नगरं वाणारसिं नगरिं च अंतराएगधौ सू१६२ महं जणवयवग्गं समोहए २ रायगिहं नगरं वाणारसिं च नगरिं तं च अंतरा एगं महं जणवयवग्गं जाणा पासइ, हंता जा० पा०, से भंते ! किं तहाभाव जाणइ पासइ अन्नहाभावं जाणइ पासइ, गोयमा। |तहाभा जाणइ पा०, णो अन्नहाभावंजा पा०, से केणडेणं ? गोषमा तस्स णं एवं भवति-नो खलु एस रायगिहेणगरेणो खलु एस वाणारसी नगरी नो खलु एस अंतरा एगे जणवयवग्गे एस खलु ममं वीरियलद्धी | वेउब्बियलद्धी ओहिणाणलद्वी इवी जुत्ती जसे बले वीरिए पुरिसकारपरकमे लद्धे पसे अभिसमनागए से से दसणे अविवञ्चासे भवति से तेणढणं गोयमा एवं बुञ्चति तहाभावं जाणति पासति नो अनहाभा जाणति पासति ॥१९॥ |अणगारे णं भंते ! भावियप्पा बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू एर्ग महंगामरूवं वा नगररूवं वा जाव सन्निवेसरूवं वा विकुवित्तए, णो तिगढे समढे, एवं विति ओवि आलावगो, णवरं बाहिरए पोग्गले परि -१९२] ~389~
SR No.004105
Book TitleAagam 05 BHAGVATI Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages1967
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size424 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy