SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 350
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आगम (०५) "भगवती”- अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:) शतक [३], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-], उद्देशक २], मूलं [१४२-१४४] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [०५], अंग सूत्र - [०५] "भगवती मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: प्रत सूत्रांक [१४२-१४४] + गाथा: से सक्के देविंदे देवराया, अप्पहिए खलु भो! से चमरे असुरिंदे असुरराया, तं इच्छामि गं देवाणुप्पिया : व्याख्या ३ शतके मज्ञप्तिः सकं देविंदं देवरायं सयमेव अचासादेत्तएत्तिकमु उसिणे उसिणभूए यावि होत्या, तए णं से चमरे असुरिंदे उद्देशः२ अभयदेवी- द असुरराया ओहिं पउंजइ २ मम ओहिणा आभोएइ २ इमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पजिस्था-एवं खलु | चमरेत्पादे या वृत्तिः || || समणे भगवं महावीरे जंबूदीये २ भारहे वासे सुसमारपुरे नगरे असोगवणसंडे उजाणे असोगवरपायवस्स | || वीरस्य शर जण सू१४४ अहे पुढविसिलावट्टयंसि अट्ठमभत्तं पडिगिण्हित्ता एगराइयं महापडिम उवसंपज्जित्ताणं विहरति, तं सेयं ॥१७२॥ खलु मे समणं भगवं महावीर नीसाए सकं देविंद देवरायं सयमेव अच्चासादेत्तएत्तिकट्ट एवं संपेहेइ २ सयणि-I जाओ अन्मुट्ठहरता देवदूसं परिहेह२ उववायसभाए पुरच्छिमिल्लेणं दारेणं णिग्गच्छद, जेणेव सभा सुहम्मा ||* जेणेव चोप्पाले पहरणकोसे तेणेव उवागच्छद रत्ता फलिहरयणं परामुसइ २ एगे अबीए फलिहरयणमायाए महया अमरिसं वहमाणे चमरचंचाए रायहाणीए मझमझेणं निग्गच्छद २ जेणेव तिगिच्छकृडे उप्पायप व्वए तेणामेव उवागच्छद २त्ता वेउब्वियसमुग्याएणं समोहणइ २त्ता संखेजाई जोषणाई जाच उत्तरवेउ-2 || वियरूवं विजब्बइ २त्ता ताए उफिट्टाए जाव जेणेव पढविसिलापहए जेणेव मम अंतिए तेणेव उवाग-|||| ॥१७॥ लिच्छति २ मम तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेति जाव नमंसित्ता एवं वयासी-इच्छामि भंते! तुन्भ नीसाए सर्फ देविदं देवरायं सयमेव अचासादित्तएत्तिकट्ट उत्तरपुरच्छिमे दिसिभागे अबकमइ २ वेउब्वियसमुग्धाएर्ण समोहणइ २ जाच दोचंपि वेउब्वियसमुग्धाएणं समोहणह २ एर्ग महं घोरं घोरागारं भीम दीप अनुक्रम [१७०-१७२] पूरण-गाथापति एवं चमरोत्पात कथा ~349~
SR No.004105
Book TitleAagam 05 BHAGVATI Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages1967
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size424 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy