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________________ आगम (०५) "भगवती'- अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:) शतक [१], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-], उद्देशक [८], मूलं [७०] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [०५], अंग सूत्र - [०५] "भगवती मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: प्रत सूत्रांक [७०] दीप अनुक्रम व्याख्या- 1 ततः सदृशानि भाण्डमात्रोपकरणानि ययोस्ती तथा, अनेन च समानविभूतिकत्वं तयोरभिहितं, 'सबीरिए'त्ति सवीर्यः || १ शतके प्रज्ञप्तिः | 'वीरियवज्झाईति वीर्य वध्यं येषां तानि तथा ॥ वीर्यप्रस्तावादिदमाह उद्देशः जयपराजअभयदेवी जीवा णं भंते ! किं सीरिया अवीरिया ?, गोयमा! सवीरियावि अवीरियावि, से केणद्वेणं ?, गोयमा ! या वृत्तिः चिमायहेतु सू७० 1|| जीवा दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-संसारसमावन्नगा य असंसारसमावनगा य, तत्थ णं जे ते असंसारसमाव- वीर्यम् ॥९४॥ नगा ते सिद्धा, सिद्धा णं अवीरिया, तस्थ गंजे ते संसारसमावन्नगा ते दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-सेलेसिप| डिवनगा य असेलेसिपडिवनगा य, तत्थ णं जे ते सेलेसिपडिवनगा ते णं लडिवीरिएणं सीरिया करणवी-1 |रिएणं अवीरिया, तस्थ णं जे ते असेलेसिपडिवनगा ते णं लडिवीरिएणं सवीरिया करणवीरिएणं सवीरियाचि अवीरियावि, से तेणडेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-जीवा दुविहा पण्णत्ता, तंजहा-सवीरियावि अवीरियाबि । नेरहया णं भंते ! किं सवीरिया अवीरिया ?, गोयमा ! नेरच्या लद्धिचीरिएणं सीरिया करणवी-1 |रिएणं सवीरियावि अवीरियावि, से केणद्वेण ?, गोयमा ! जेसि थ नेरइयाण अस्थि उहाणे कम्मे बले थी. मारिए पुरिसकारपरकमे ते ण नेरइया लद्धिवीरिएणवि सवीरिया करणवीरिएणवि सवीरिया, जेसि ण नेरइयाणं| नत्थि उहाणे जाव परक्कमे ते ण नेरइया लडिवीरिएणं सवीरिया करणवीरिएणं अवीरिया, से तेणटेणं०,18|| जहा नेरइया एवंजाव पंचिंदियतिरिकखजोणिया, मणुस्सा जहा ओहिया जीवा, नवरं सिद्धवजा भाणियचा, ॥९४॥ वाणमंतरजोइसवेमाणिया जहा नेरइया, सेवं भंते! सेवं भंते !त्ति ॥ (सू०७०)। पढमसए अट्ठमो उद्देसो समत्ता। [९] Bunioramom ***अत्र सूत्र-क्रमस्य मूल-संपादने एक: मुद्रण-दोष: जात: सू०७० (यहाँ सू०७१ होना चाहिए, मगर नीचे की लाइनमें सू०७० लिखा है, वैसे उपर दाई तरफ तो ७१ ही छपा है और इस सूत्र के बाद भी आगे के सूत्रमे सूत्र-क्रम ७२ ही दिया गया है |) ~194~
SR No.004105
Book TitleAagam 05 BHAGVATI Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages1967
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size424 MB
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