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________________ आगम (०५) "भगवती”- अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:) शतक [२४], वर्ग -], अंतर्-शतक -1, उद्देशक [१२], मूलं [७०१] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [०५], अंग सूत्र - [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: प्रत सूत्रांक [७०१] भाणियबो नवरं लेस्साओ तिन्नि ठिती जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहत्तं अप्पसत्था अज्ज्ञवसाणा हि अणुबंधो जहा ठिती सेसं तं चेव ४, सो चेव जहन्नकालहितीएम उववन्नो एसो चेव चउत्थगमगवत्तवया । |भाणियबा ५, सो चेव उकोसकालद्वितीएमु उववन्नो एस चेव वत्तवया नवरं जहन्नेणं एको वा दोचा तिन्नि वा उकोसे० संखे० असंखेज्जा वा जाव भवादेसेणं जहन्नेणं दो भवग्गहणाई उकोसेणं अह भवग्गहणाई कालादेसेणं जहन्नेणं वावीसवाससहस्साई अंतोमुहुत्तमम्भहियाई उक्कोसेणं अट्ठासीई वाससहस्साई चाहिं अंतोमुहुत्तेहिं अब्भहियाइं एवतियं०६, सो चेव अप्पणा उक्कोसकालहितीओ जाओ एवं तइयगमगसरिसो निरवसेसो भाणियहो नवरं अप्पणा से ठिई जहन्नेणं बावीसवाससहस्साई उक्कोसेणवि बावीसं वाससहस्साई ७, सो चेव जहन्नकालद्वितीएसु उववन्नो जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं, एवं जहा सत्तमगमगोजाव भवादेसो, कालादेसेणं जहन्नेणं बावीसं वाससहस्साई अंतोमुहत्तमभहियाई उक्कोसेणं अट्ठासीहं वाससहस्साई चाहिं अंतोमुहुत्तेहिं अभहियाई एवतियं०८, सो चेव उफोसकालद्वितीएसु उचवन्नो जहन्नेणं बावीसंवाससहस्सट्टितीएसु उक्कोसेणवि बावीसवासहस्सद्वितीएस एस चेव सत्तमगमगवत्तव्वया जाणियचा जाव भवादेसोत्ति कालादेजह. चोयालीसं वाससहस्साई उकोसेणं छावत्तरिवाससहस्सुत्तरं |सयसहस्सं एवतियं ९॥ जइ आउक्काइयएगिदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजंति किं मुहमआऊ० बादर| आउ० एवं चउकाओ भेदो भाणिययो जहा पुढ विक्काइयाणं, आउक्काइयाणं भंते ! जे भविए पुढविक्काइएम दीप अनुक्रम [८४६] For P OW ~1651~
SR No.004105
Book TitleAagam 05 BHAGVATI Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages1967
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size424 MB
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