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________________ १२२ प्रज्ञापना सूत्र भावार्थ - १. अथवा एक औदारिक शरीर काय-प्रयोगी, एक आहारक शरीर काय-प्रयोगी और एक आहारक मिश्र शरीर काय-प्रयोगी होता है २. अथवा एक औदारिक मिश्र शरीर काय-प्रयोगी, एक आहारक शरीर काय-प्रयोगी और अनेक आहारक मिश्र शरीर काय प्रयोगी होते हैं ३. अथवा एक औदारिक मिश्र शरीर काय-प्रयोगी अनेक आहारक शरीर काय-प्रयोगी और एक आहारक मिश्रं शरीर काय-प्रयोगी होता है ४. अथवा एक औदारिक मिश्र शरीर काय-प्रयोगी, अनेक आहारक शरीर कायप्रयोगी और अनेक आहारक मिश्र शरीर काय-प्रयोगी होते हैं ५. अथवा अनेक औदारिक मिश्र शरीर काय-प्रयोगी, एक आहारक शरीर काय-प्रयोगी और एक आहारक मिश्र शरीर काय-प्रयोगी होता है. ६. अथवा अनेक औदारिक मिश्र शरीर काय-प्रयोगी, एक आहारक शरीर काय-प्रयोगी और. अनेक आहारक मिश्र शरीर काय-प्रयोगी होते हैं ७. अथवा अनेक औदारिक मिश्र शरीर काय-प्रयोगी, अनेक आहारक शरीर काय-प्रयोगी और एक आहारक मिश्र शरीर काय प्रयोगी होता है ८. अथवा अनेक औदारिक मिश्र शरीर काय-प्रयोगी, अनेक आहारक शरीर काय-प्रयोगी और अनेक आहारक मिश्र शरीर काय-प्रयोगी होते हैं। इस प्रकार ये आठ भंग होते हैं। १. अथवा एक औदारिक मिश्र शरीर काय-प्रयोगी, एक आहारक शरीर काय-प्रयोगी और एक कार्मण शरीर काय-प्रयोगी होता है २. अथवा एक औदारिक मिश्र शरीर काय-प्रयोगी, एक आहारक शरीर काय-प्रयोगी और अनेक कार्मण शरीर काय-प्रयोगी होते हैं ३. अथवा एक औदारिक मिश्र शरीर काय-प्रयोगी अनेक आहारक शरीर काय-प्रयोगी और एक कार्मण शरीर काय-प्रयोगी होता है, ४. अथवा एक औदारिक मिश्र शरीर काय-प्रयोगी, अनेक आहारक शरीर काय-प्रयोगी और अनेक कार्मण शरीर काय-प्रयोगी होते हैं ५. अथवा अनेक औदारिक मिश्र शरीर काय-प्रयोगी, एक आहारक शरीर काय-प्रयोगी और एक कार्मण शरीर काय-प्रयोगी होता है ६. अथवा अनेक औदारिक मिश्र शरीर काय-प्रयोगी और एक आहारक शरीर काय-प्रयोगी और अनेक कार्मण शरीर काय-प्रयोगी होते हैं, ७. अथवा अनेक औदारिक मिश्र शरीर काय प्रयोगी, अनेक आहारक शरीर काय प्रयोगी और एक कार्मण शरीर काय-प्रयोगी होता है, ८. अथवा अनेक औदारिक मिश्र शरीर काय-प्रयोगी, अनेक आहारक शरीर काय-प्रयोगी और अनेक कार्मण शरीर काय प्रयोगी होते हैं। इस प्रकार ये आठ भंग होते हैं। १. अथवा एक औदारिक मिश्र शरीर काय-प्रयोगी, एक आहारक मिश्र शरीर काय-प्रयोगी और एक कार्मण शरीर काय-प्रयोगी होता है, २. अथवा एक औदारिक मिश्र शरीर काय-प्रयोगी, एक आहारक मिश्र शरीर काय-प्रयोगी और अनेक कार्मण शरीर काय-प्रयोगी होते हैं, ३. अथवा एक औदारिक मिश्र शरीर काय-प्रयोगी, अनेक आहारक मिश्र शरीर काय-प्रयोगी और एक कार्मण शरीर काय-प्रयोगी होता है ४. अथवा एक औदारिक मिश्र शरीर काय-प्रयोगी; अनेक आहारक मिश्र शरीर काय-प्रयोगी, अनेक कार्मण शरीर काय-प्रयोगी होते हैं, ५. अथवा अनेक औदारिक मिश्र शरीर काय Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004095
Book TitlePragnapana Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages412
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size9 MB
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