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________________ ५२ अपर्याप्त जीवों के शरीर स्पष्ट रूप से वर्ण आदि के विभागों को प्राप्त नहीं होने से उनके योनियाँ नहीं होती है। यहाँ बताई हुई सभी योनियाँ पर्याप्त जीवों की अपेक्षा ही समझना चाहिये । अपकायिक जीव प्रज्ञापना से किं तं आउक्काइया ? आउक्काइया दुविहा पण्णत्ता । तंजहा - सुहुम प्रज्ञापना सूत्र आउक्काइया य बायर आउक्काइया य ॥ १८ ॥ भावार्थ - प्रश्न- अप्कायिक के कितने प्रकार गहे गये हैं ? उत्तर - अप्कायिक जीव दो प्रकार के कहे गये हैं । वे इस प्रकार हैं और २. बादर अप्कायिक | से किं तं सुहुम आउक्काइया ? सुहुम आउक्काइया दुविहा पण्णत्ता । तं जहा - पज्जत्त सुहुम आउक्काइया य अपज्जत्त सुहुम आउक्काइंया य । से तं सुहुम आउक्काइया ॥ १९॥ - Jain Education International भावार्थ - प्रश्न- सूक्ष्म अप्कायिक के कितने प्रकार कहे गये हैं ? उत्तर - सूक्ष्म अप्कायिक जीव दो प्रकार के कहे गये हैं । वे इस प्रकार हैं - १. पर्याप्त सूक्ष्म अप्कायिक और २. अपर्याप्त सूक्ष्म अप्कायिक। इस प्रकार सूक्ष्म अप्कायिक की प्ररूपणा हुई । से किं तं बायर आउक्काइयां ? बायर आउक्काइया अणेगविहा पण्णत्ता । तंजा उस्सा (ओसा), हिमए, महिया, करए, हरतणुए, सुद्धोदए, सीओदए, उसिणोदए, खारोदए, खट्टोदए, अंबिलोदए, लवणोदए, वारुणोदए, खीरोदए, (घओदए), खोओदए, रसोदए, जे यावण्णे तहप्पगारा । ते समासओ दुविहा पण्णत्ता । तंजा - पज्जत्तगा य अप्पज्जत्तगा य ! तत्थ णं जे ते अपज्जत्तगा ते णं असंपत्ता । तत्थ णं जे ते पज्जत्तगा एएसिं णं वण्णादेसेणं गंधादेसेणं रसादेसेणं फासादेसेणं सहस्सग्गसो विहाणाई, संखिज्जाई जोणिप्पमुह सयसहस्साइं पज्जत्तगणिस्साए अपज्जत्तगा वक्कमंति, जत्थ एगो तत्थ णियमा असंखिज्जा। से तं बायर आउक्काइया । सेतं आउक्काइया ॥ २० ॥ कठिन शब्दार्थ - उस्सा ओस, हिमए हिम (बर्फ), महिया - महिका, करए ओले, अंबिलोदए - अम्लोदक, खोओदक - क्षोदोदक । भावार्थ - प्रश्न- बादर अप्कायिक के कितने प्रकार कहे गये हैं ? - - - For Personal & Private Use Only १. सूक्ष्म अप्कायिक www.jainelibrary.org
SR No.004093
Book TitlePragnapana Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages414
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size9 MB
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