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________________ . . ३१४ प्रज्ञापना सत्र ************** ** ********************************************* **** ** ********* समावेश होता है, उनसे पर्याप्तक अपर्याप्तक विशेषण रहित बादर जीव विशेषाधिक हैं क्योंकि बादर पर्याप्तक तेजस्कायिक आदि का भी उसमें समावेश होता है। एएसि णं भंते! सुहमाणं, सुहुम पुढवीकाइयाणं, सुहुम आउकाइयाणं, सुहुम तेउकाइयाणं, सुहुम वाउकाइयाणं, सुहुम वणस्सइकाइयाणं, सुहुम णिओयाणं, बायराणं, बायर पुढवीकाइयाणं, बायर आउकाइयाणं, बायर तेउकाइयाणं, बायर वाउकाइयाणं, बायर वणस्सइकाइयाणं, पत्तेयसरीर बायर वणस्सइकाइयाणं, बायर णिओयाणं, तसकाइयाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा बायर तसकाइया, बायर तेउकाइया असंखिज गुणा, पत्तेयसरीर बायर वणस्सइकाइया असंखिज गुणा, बायर णिओया असंखिज्ज गुणा, बायर पुढवीकाइया असंखिज्ज गुणा, बायर आउकाइया असंखिज गुणा, बायर वाउकाइया असंखिज गुणा, सुहुम तेउकाइया असंखिज गुणा, सुहुम पुढवीकाइया विसेसाहिया, सुहुम आउकाइया विसेसाहिया, सुहुम वाउकाइया विसेसाहिया, सुहुम णिओया असंखिज्ज गुणा, बायर वणस्सइकाइया अणंत गुणा, बायरा विसेसाहिया, सुहुम वणस्सइकाइया असंखिज गुणा, सुहमा विसेसाहिया॥१६७॥ भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! इन सूक्ष्म जीवों, सूक्ष्म पृथ्वीकायिकों, सूक्ष्म अप्कायिकों, सूक्ष्म तेजस्कायिकों, सूक्ष्म वायुकायिकों, सूक्ष्म वनस्पतिकायिकों, सूक्ष्म निगोदों, बादर जीवों, बादर पृथ्वीकायिकों, बादर अप्कायिकों, बादर तेजस्कायिकों, बादर वायुकायिकों, बादर वनस्पतिकायिकों, प्रत्येक शरीर बादर वनस्पतिकायिकों, बादर निगोदों और बादर त्रसकायिकों में कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं? उत्तर - हे गौतम! सबसे थोड़े बादरं त्रसकायिक हैं, उनसे बादर तेजस्कायिक असंख्यात गुणा हैं, उनसे प्रत्येक शरीर बादर वनस्पतिकायिक असंख्यात गुणा हैं, उनसे बादर निगोद असंख्यात गुणा हैं, उनसे बादर पृथ्वीकायिक असंख्यात गुणा हैं, उनसे बादर अप्कायिक असंख्यात गुणा हैं, उनसे बादर वायुकायिक असंख्यात गुणा है, उनसे सूक्ष्म तेजस्कायिक असंख्यात गुणा हैं, उनसे सूक्ष्म पृथ्वीकायिक विशेषाधिक हैं, उनसे सूक्ष्म अप्कायिक विशेषाधिक हैं, उनसे सूक्ष्म वायुकायिक विशेषाधिक हैं, उनसे सूक्ष्म निगोद असंख्यात गुणा हैं, उनसे बादर वनस्पतिकायिक अनंत गुणा हैं, उनसे बादर जीव विशेषाधिक हैं, उनसे सूक्ष्म वनस्पतिकायिक असंख्यात गुणा हैं और उन से सूक्ष्म जीव विशेषाधिक हैं। विवेचन - बादर जीवों के अल्पबहुत्व के पांच सूत्र कहने के बाद अब सूत्रकार सूक्ष्म और Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004093
Book TitlePragnapana Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages414
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size9 MB
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