SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 262
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भगवती सूत्र-श. २५ उ. ६ कर्म-उदीरणा द्वार ३४१३ डीओ उदीरेइ, अट्ठ उदीरेमाणे पडिपुण्णाओ अट्ठ कम्मप्पगडीओ उदीरेइ. छ उदीरेमाणे आउय-वेयणिजवजाओ छ कम्मप्पगडीओ उदीरेइ । पडिसेवणाकुसीले एवं चेव । कठिन शब्दार्थ- उदीरेमाणे-उदीरणा करता हुआ । . भावार्थ-१११ प्रश्न-हे भगवन् ! बकुश, कर्म को कितनी प्रकृतियों को उदीरता है ? १११ उत्तर-हे गौतम ! सात, आठ या छह कर्म-प्रकृतियों को उदीरता है । सात को उदीरता हुआ आयुष्य को छोड़ कर सात कर्म-प्रकृतियों को उदीरता है । आठ को उदीरता हुआ प्रतिपूर्ण आठ कर्म-प्रकृतियों को उदीरता है । छह को उदीरता हुआ आयुष्य और वेदनीय को छोड़ कर छह कर्म-प्रकृतियों को उदीरता है । इसी प्रकार प्रतिसेवना-कुशील भी। ' ११२ प्रश्न-कसायकुसीले-पुच्छा । ___११२ उत्तर-गोयमा ! सत्तविहउदीरए वा, अट्ठविहउदीरए वा, छविहउदीरए वा, पंचविहउदीरए वा । सत्त उदीरेमाणे आउयवजाओ सत्त कम्मप्पगडीओ उदीरेइ, अट्ठ उदीरेमाणे पडिपुग्णाओ अट्ठ कम्मप्पगडीओ उदीरेइ, छ उदीरेमाणे आउय-वेयणिज्जवजाओ छ कम्मप्पगडीऔ उदीरेइ, पंच उदीरेमाणे आउय-वेयणिज्ज मोहणिजवजाओ पंच कम्मप्पगडीओ उदीरेइ । ., . . भावार्थ-११२ प्रश्न-हे भगवन् ! कषाय-कुशील कर्म को कितनी प्रकतियों को उदीरता है ? ११२ उत्तर-हे गौतम ! सात, आठ, छह या पांच कर्म-प्रकृतियों को Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy