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________________ भगवती सूत्र-ग. २४ उ. १ नेरयिकादि का उपपातादि २९८७ २२ उत्तर-हे गौतम ! वे स्त्री-वेदक और पुरुष-वेदक नहीं, एक नपुंसकवेदक हैं। २३ प्रश्न-तेसि णं भंते ! जीवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णता ? २३ उत्तर-गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पुव्व. कोडी १७। भावार्थ-२३ प्रश्न-हे भगवन् ! उन जीवों की स्थिति कितने काल की है ? २३ उत्तर-हे गौतम ! उनकी स्थिति जघन्य अन्तर्मुहर्त और उत्कृष्ट पूर्वकोटि की होती है। २४ प्रश्न-तेसि णं भंते ! जीवाणं केवइया अन्झवसाणा पण्णता ? २४ उत्तर-गोयमा ! असंखेजा अज्झवसाणा पण्णत्ता। भावार्थ-२४ प्रश्न-हे भगवन् ! उनके अध्यवसाय स्थान कितने हैं ? २४ उत्तर-हे गौतम ! उनके अध्यवसाय स्थान असंख्यात हैं। २५ प्रश्न-ते णं भंते ! किं पसत्था अप्पसत्था ? २५ उत्तर-गोयमा ! पसत्था वि अप्पसत्था वि १८ ।। भावार्थ-२५ प्रश्न-हे भगवन् ! उनके अध्यवसाय स्थान प्रशस्त हैं, या अप्रशस्त ? २५ उत्तर-हे गौतम ! प्रशस्त भी होते हैं और अप्रशस्त भी। २६ प्रश्न-से णं भंते ! पजत्ताअसण्णिपंचिंदियतिरिक्खजोणि Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004091
Book TitleBhagvati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages566
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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