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________________ २९८० भगवती सूत्र - श. २४ उ १ नैरयिकादि का उपपातादि तिरिक्खजोणिएहिंतो उववजंति ? ३ उत्तर - गोयमा ! सष्णिपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्रंति, अण्णीपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो वि उववजंति । भावार्थ - ३ प्रश्न - हे भगवन् ! यदि नैरयिक जीव पञ्चेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक से आते हैं, तो क्या संज्ञी पञ्चेन्द्रिय तिर्यंच-योनिक से आते हैं, या असंज्ञी पञ्चेन्द्रिय तिर्यंच-योनिक से आते हैं ? ३ उत्तर - हे गौतम! वे संज्ञी पंचेन्द्रिय और असंज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक से आते हैं । ४ प्रश्न - जड़ असणिपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजंति किं जलचरेहिंतो उववजंति, थलचरेहिंतो उववज्जंति, खहचरेहिंतो उववज्जंति ? ४ उत्तर - गोयमा ! जलचरेहिंतो उववजंति, थलचरेहिंतो वि उववजंति, खहचरेहिंतो वि उववजंति । भावार्थ - ४ प्रश्न - हे भगवन् ! नैरयिक यदि असंज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक से आते हैं, तो क्या जलचर, थलचर और खेचर से आते हैं ? ४ उत्तर- हे गौतम! वे जलचर, थलचर और खेचर से भी आते हैं । ५ प्रश्न - जड़ जलचर थलचर- खहचरेहिंतो उववजंति किं पज्जतपहिंतो उनवजंति अपज्जत्तए हिंतो ववजंति ? ५ उत्तर - गोयमा ! पज्जतएहिंतो उववज्जंति, णो अपजत्तएहिंतो Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004091
Book TitleBhagvati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages566
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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