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________________ भगवती सूत्र-श. ८ उ. ९ शरार वध . १४८५ २५ उत्तर-गोयमा ! वीरिय-सजोग-सहव्वयाए पमायपच्चया कम्मं च जोगं च भवं च आउयं च पडुच्च ओरालियसरीरप्पओगणामकम्मस्स उदएणं ओरालियसरीरप्पओगबन्धे । २६ प्रश्न-एगिदियओरालियसरीरप्पओगबन्धे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं? . २६ उत्तर-एवं चेव,पुढविक्काइयएगिदिय ओरालियसरीरप्पओगवन्धे एवं चेव, एवं जाव वणस्सइकाइया, एवं बेइंदिया, एवं तेइंदिया, एवं चउरिदिया। २७ प्रश्न-तिरिक्ख -जोणिय-पंचिंदिय - ओरालिय- सरीरप्पओग. बन्धे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं ? २७ उत्तर-एवं चे। - २८ प्रश्न-मणुस्सपंचिंदियओरालियसरीरप्पओगबन्धे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं ? २८ उत्तर-गोयमा ! वीरिय-सजोग-सदब्वयाए पमायपचया जाव आउयं च पडुच्च मणुस्सपंचिंदियओरालियसरीरप्पओगणामकम्मस्स उदएणं० । - कठिन शब्दार्थ-वीरिय-सजोग-सव्वयाए-वीर्य (शक्ति) योग और सद्व्य से, पमायपच्चया-प्रमाद प्रत्ययिक । भावार्थ-२५ प्रश्न-हे भगवन् ! औदारिक-शरीर-प्रयोग-बंध किस कर्म के उदय से होता है ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004088
Book TitleBhagvati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages506
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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