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________________ समोयरति ? भगवती सूत्र - शं. ८ उ. ८ कर्म प्रकृति और परीषह् २७ उत्तर - गोयमा ! एगे दंसणपरीस हे समोर | २८ प्रश्न - चरित्तमोहणिज्जे गं भंते ! कम्मे कह परीसहा समोयरंति ? Jain Education International १४५३ २८ उत्तर - गोयमा ! सत्त परीसहा समोयरंति, तं जहा"अरई अचेल इत्थी णिसीहिया जायणा य अकोसे | सकार - पुरकारे चरितमोहम्मि सत्तेते ॥” २९ प्रश्न - अंतराइए णं भंते ! कम्मे कह परीसहा समोयरंति ? २९ उत्तर - गोयमा ! एगे अलाभपरीसहे समोयरह | कठिन शब्दार्थ - आणुपुथ्वी -- क्रमानुसार । भावार्थ - २५ प्रश्न - हे भगवन् ! ज्ञानावरणीय कर्म में कितने परीषहों का समवतार होता है ? २५ उत्तर - हे गौतम ! दो परीषहों का समवतार होता है । यथा-प्रज्ञा परीषह और ज्ञान परीषह । २६ प्रश्न - हे भगवन् ! वेदनीय कर्म में कितने परीषहों का समवतार होता है ? २६ उत्तर - हे गौतम ! वेदनीय कर्म में ग्यारह परीषहों का समवतार होता है । यथा - अनुक्रम से पहले के पांच परीषह ( क्षुधा परीषह, पिपासा परीवह, शीत परीषह, उष्ण परीषह और दंशमशक परीषह) चर्या परीषह, शय्या परीषह, वध परीषह, रोग परीषह, तृणस्पर्श परीषह और जल्ल ( मैल) परीषह । इन ग्यारह परीषहों का समवतार वेदनीय कर्म में होता है । २७ प्रश्न - हे भगवन् ! दर्शन- मोहनीय कर्म में कितने परीषहों का For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004088
Book TitleBhagvati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages506
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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