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________________ १४४० भगवती सूत्र - श. ८ उ ८ ऐर्यापथिक और सांपरायिक बंध बन्धिस्सइ ? १३ उत्तर - गोयमा ! भवागरिसं पडुच्च अथेगइए बन्धी बन्धइ बन्धस्सह, अत्थेiइए बन्धी बन्धइ ण बन्धिस्सर, एवं तं चैव सव्वं जाव अत्थे णबन्धी ण बन्धइ ण बन्धिस्स । गहणा गरिसं पहुच अत्थेगइए बन्धी बन्धइ बन्धिस्सर, एवं जाव अत्थेगइए ण बन्धी बन्ध बन्धिस्स, णो चेव णं ण बन्धी बन्धइ ण बन्धिरसह, अत्थेगइए ण बन्धी ण बन्धइ बन्धिस्सह, अत्थेगइए ण बन्धी ण बन्धइ ण बन्धिस्स । १४ प्रश्न - तं भंते ! किं साइयं सपज्जवसियं बन्धइ, साइयं अपज्जवसियं बन्धइ, अणाइयं सपज्जवसियं बन्धइ, अणाइयं अपज - वसियं बन्धइ ? १४ उत्तर - गोयमा ! साइयं सपज्जवसियं बन्धइ, णो साइयं अपज्जवसियं बन्धइ, णो अणाइयं सपज्जवसियं बन्धइ, णो अणाइयं अपजवसियं बन्ध । १५ प्रश्न- तं भंते ! किं देसेणं देतं बन्धड़, देसेणं सव्वं बन्धड़, सव्वेणं देतं बन्धइ, सव्वेणं सव्वं बन्धइ ? १५ उत्तर - गोयमा ! णो देसेणं देसं वन्ध, णो देसेणं सव्वं बन्ध, णो सव्वेणं देतं बन्धइ, सव्वेणं सव्वं बन्ध । कठिन शब्दार्थ-बंधी - बाँधा, बंधिस्सइ - बाँधेगा, भवागरि - भवावर्ष ( अनेक भवों में), अत्येगइए- किसी एक ने, गहनागरिसं ग्रहणाकर्ष ( कर्म - दलिक का ग्रहण करना ), Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004088
Book TitleBhagvati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages506
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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