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________________ भगवतr सूत्र-श.. उ. ५ श्रावक व्रत के भंग . १३७९ ६ प्रश्न-तीयं पडिकममाणे किं-१ तिविहं तिविहेण पडिकमइ, २ तिविहं दुविहेणं पडिकमइ, ३ तिविहं एगविहेणं पडिकमइ;; ४ दुविहं तिविहेणं. पडिकमइ, ५. दुविहं दुविहेणं पडिकमइ, ६ दुविहं एगविहेणं पडिकमइ; ७ एगविहं तिविहेणं पडिकमइ, ८ एगविहं दुविहेणं पडिकमइ, ९ एगविहं एगविहेणं. पडिकमह ?... ६ उत्तर-गोयमा ! तिविहं तिविहेणं पडिकमइ, तिविहं वा दुविहेणं पडिक्कमइ, एवं चेव जाव एगविहं वा एगविहेणं. पडिक्कमइ । १ तिविहं तिविहेणं पडिक्कममाणे ण करेइ, ण कारवेइ, करेंतं णाणुजाणइ मणसा वयसा कायसा । २ तिविहं दुविहेणं. पडिकममाणे ण करेइ, ण कारवेइ, करेंतं णाणुजाणइ मणसा वयसा; ३ अहवा ण करेइ, ण कारवेइ, करेंतं णाणुजाणइ मणसा कायसा; ४ अहवा ण करेइ, ण कारवेइ, करेंतं गाणुजाणइ वयसा कायसा । तिविहं एगविहेणं पडिक्कममाणे ५ ण करेइ, ण कारवेइ, करेंतं णाणुजाणइ मणसाः ६ अहवा ण करेइ, ण कारवेइ, करेंतं णाणुजाणइ वयसा; ७ अहवा ण करेइ, ण कारवेइ, करेंतं णाणुजाणइ कायसा । दुविहं तिविहेणं पडिकममाणे ८ ण करेइ, ण कास्वेइ मणसा वयसा कायसा; ९ अहवा ण करेइ, करेंत णाणुजाणइ मणसा वयसा कायसा; १० अहवा ण कारवेड़, करेंतं णाणुजाणइ. मणसा Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004088
Book TitleBhagvati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages506
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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