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________________ भगवती सूत्र-श. ८ उ. २ ज्ञान अज्ञान की भजना के बीस द्वार १३०९ ३४ प्रश्न-हे भगवन् ! सिद्धगतिक जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी ?! ३४ उत्तर-हे गौतम ! उनका कथन सिद्धों की तरह करना चाहिये अर्थात् वे नियमा एक केवलज्ञान वाले होते हैं। ३५ प्रश्न-सइंदिया णं भंते ! जीवा किं णाणी अण्णाणी ? ३५ उत्तर-गोयमा ! चत्तारि णाणाई, तिणि अण्णाणाई भयणाए। ३६ प्रश्न-एगिदिया णं भंते ! जीवा किं णाणी० ? ३६ उत्तर-जहा पुढविक्काइया, बेइंदिय तेइंदिय-चउरिंदिया । दो णाणा, दो अण्णाणा णियमा । पंचिंदिया जहा सइंदिया । . ३७ प्रश्न-अणिदिया णं भंते ! जीवा किं णाणी० ? - ३७ उत्तर-जहा सिद्धा। ३८ प्रश्न-सकाइया णं भंते ! जीवा किं णाणी अण्णाणी ? ३८ उत्तर-गोयमा ! पंच णाणाणि तिष्णि अण्णाणाई भयणाए । पुढविक्काइया जाव वणस्सइकाइया णो णाणी, अण्णाणी, णियमा दुअण्णाणी, तं जहा-मइअण्णाणी य सुयअण्णाणी य । तसकाइया जहा सकाइया । ३९ प्रश्न-अकाइया णं भंते ! जीवा किं णाणी ? ३९ उत्तर-जहा सिद्धा। . कठिन शब्दार्थ-अकाइया-(जिनके काया-शरीर नहीं, ऐसे सिद्ध)। भावार्थ-३५ प्रश्न-हे भगवन् ! सेन्द्रिय (इन्द्रिय वाले) जीव ज्ञानी हैं, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004088
Book TitleBhagvati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages506
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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