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________________ भगवती सूत्र-श. ७ उ. ६ छठे आरे के मनुष्यों का स्वरूप भावार्थ-१९ प्रश्न-हे भगवन् ! उस समय अर्थात् 'दुषमदुषमा' नामक छठे आरे के समय मनुष्यों का आकारभाव-प्रत्यवतार (आकार और भावों का आविर्भाव-स्वरूप) कैसा होगा? १९ उत्तर-हे गौतम ! उस समय इस भरतक्षेत्र के मनुष्य, कुरूप, कुवर्ण, कुगन्ध, कुरस और कुस्पर्शयुक्त, अनिष्ट, अमनोज, अमनाम (मन को नहीं गमने वाले अर्थात् अच्छे नहीं लगने वाले) हीन स्वर, दीन स्वर, अनिष्ट स्वर, अमनोज्ञ स्वर और यावत् असनाम स्वरयुक्त, अनादेय और अप्रीति युक्त वचन वाले, निर्लज्ज, कूट, कलह, वध, बन्ध और वैर में आसक्त, मर्यादा का उल्लंघन करने में अग्रणी, अकार्य में तत्पर, माता-पिता आदि पूज्यजनों की आज्ञा भंग करने वाले, विनय रहित, विकलरूप अर्थात् बेडौल आकार वाले, बढ़े हुए नख, केश, दाढी, मूंछ और रोम वाले, काले, अतीव कठोर, श्यामवर्ण वाले, . बिखरे हुए बालों वाले, पीले और सफेद केशों वाले, अनेक स्नायुओं से आवेष्टित, दुर्दर्शनीय रूप वाले, संकुचित और वली-तरंगयुक्त (झुर्रियों से युक्त) टेढ़ेमेढ़े अंगोपांग वाले, अनेक प्रकार के कुलक्षणों से युक्त, जरापरिणत वृद्ध पुरुष के सदृश प्रविरल और टूटे फूदे सडे दाँतों वाले, घडे के समान भयङ्कर मुंह वाले, विषम नेत्रों वाले, टेढ़ी नाक वाले, टेढ़े और विकृत मुखवाले, खाज (एक प्रकार की भयङ्कर खुजली) वाले, कठिन और तीक्ष्ण नखों द्वारा खुजलाने से विकृत बने हुए, दद्रु (दाद) किडिभ (एक प्रकार का कोढ़) सिध्म (एक प्रकार का भयंकर कोढ़) वाले, फटी हुई कठोर चमडी वाले, विचित्र अंग वाले, ऊंट के समान गति वाले, कुआकृतियुक्त, विषमसंधिबन्धनयुक्त, ऊँची नीची विषम हड्डियों और पसलियों से युक्त, कुगठन युक्त, कुसंहनन वाले, कुप्रमाणयुक्त, विषम संस्थानयुक्त, कुरूप कुस्थान में बढ़े हुए शरीर वाले, कुशय्या वाले (खराब स्थान में शयन करने वाले,) कुभोजन करने वाले, विविध व्याधियों से पीड़ित, स्खलित गति वाले, उत्साह रहित, सत्त्व रहित, विकृत चेष्टा युक्त, तेज होन, बारम्बार शीत, उष्ण, तीक्ष्ण और कठोर पवन से व्याप्त (संत्रस्त) रज आदि से मलिन Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004088
Book TitleBhagvati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages506
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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