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________________ ९७२ भगवती सूत्र-श. ६ उ. ३ कर्मों के बंधक वजाणं छण्हं, वेयणिजं आहारए बंधइ, अणाहारए भयणाए । आउए आहारए भयणाए, अणाहारए ण बंधइ । ३१ प्रश्न–णाणावरणिजं किं सुहुमे बंधइ बायरे बंधइ, णोसहुमणोबायरे बंधइ ? ३१ उत्तर-गोयमा ! सुहुमे बंधइ, बायरे भयणाए, जोसुहुमणोबायरे ण बंधह, एवं आउयवजाओ सत्त वि, आउए सुहुमे, बायरे भयणाए त्ति, जोसुहुम-गोवायरे ण बंधइ । ३२ प्रश्न–णाणावरणिजं किं चरिमे, अचरिमे बंधइ ? ३२ उत्तर-गोयमा ! अट्ठ वि भयणाए । कठिन शब्दार्थ-सागारोवउत्ते-साकार (ज्ञान के) उपयोग वाला, अणागारोवउत्तेअनाकार-निराकार (दर्शन) उपयोग वाला, णोसुहुमेणोबायरे-जो न तो सूक्ष्म है न बादर (बडे) हैं—ऐसे सिद्ध जीव, चरिम-जो अंतिम भव करेगा अर्थात् भवी । ___ भावार्थ-२८ प्रश्न--हे भगवन् ! क्या मनयोगी, वचनयोगी, काययोगी और अयोगी-ये ज्ञानावरणीय कर्म बांधते हैं ? .२८ उत्तर-हे गौतम ! मनयोगी, वचनयोगी और काययोगी ये तीनों ज्ञानावरणीय कर्म, कदाचित् बांधते हैं और कदाचित् नहीं बांधते हैं । अयोगी नहीं बांधते हैं। इसी प्रकार वेदनीय कर्म को छोड़कर शेष सात कर्म प्रकृतियों के विषय में कहना चाहिये । वेदनीय कर्म को मनयोगी, वचनयोगी और काययोगी बांधते हैं । अयोगी नहीं बांधते हैं। २९ प्रश्न-हे भगवन् ! ज्ञानावरणीय कर्म, क्या साकार उपयोग वाले बांधते हैं, या अनाकार उपयोग वाले बाँधते हैं ? २९ उत्तर-हे गौतम ! साकार उपयोग और अनाकार उपयोग-इन Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004087
Book TitleBhagvati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages560
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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