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________________ भगवती सूत्र-श. ५ उ. ७ परमाणु पुद्गलादि का अन्तर काल भावार्थ-१९ प्रश्न-हे भगवन् ! एक गण काला पुद्गल, कब तक रहता है ? १९ उत्तर-हे गौतम ! जघन्य एक समय तक और उत्कृष्ट असंख्येय काल तक रहता है । इसी प्रकार यावत् अनन्तगुण काला पुद्गल तक कहना चाहिये । इसी प्रकार वण, गन्ध, रस और स्पर्श यावत् अनन्तगण रूक्ष प्रगल तक कहना चाहिए । इसी प्रकार सूक्ष्म परिणत पुद्गल और बादर परिणत पुद्गल के विषय में भी कहना चाहिए। २० प्रश्न-हे भगवन् ! शब्द परिणत पुद्गल कितने काल तक रहता है ? २० उत्तर-हे गौतम ! जघन्य एक समय तक और उत्कृष्ट आवलिका के असंख्येय भाग तक रहता है। जिस प्रकार एक गुण काला पुद्गल के विषय में कहा है, उसी तरह अशब्द परिणत पुद्गल के विषय में कहना चाहिए। विवेचन - पुद्गल का अधिकार होने से यहां पुद्गलों के द्रव्य, क्षेत्र और भावों का विचार, काल की अपेक्षा से किया गया है । 'परमाणु पुद्गल' यह द्रव्य विषयक विचार है । वह जघन्य एक समय तक और उत्कृष्ट असंख्य काल तक रहता है । क्योंकि असंख्य काल के बाद पुद्गलों की एक रूप स्थिति नहीं रहती। ‘एक प्रदेशावगाढ' इत्यादि का कथन कर क्षेत्र सम्बन्धी विचार किया गया है। पुद्गलों का चलन आकस्मिक होता है । इसलिये निष्कपत्व आदि की तरह कंपनचलन, का काल असंख्येय नहीं होता है। ___ कोई भी पुद्गल अनन्तप्रदेशावगाढ़ नहीं होता । इसलिये 'असंख्यात प्रदेशावगाद' ऐसा कहा गया है। परमाणु पुद्गलादि का अन्तर काल २१ प्रश्न-परमाणुपोग्गलस्स णं भंते ! अंतर कालओ केवच्चिरं होइ ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004087
Book TitleBhagvati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages560
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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