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________________ भगवती सूत्र - श. ३ उ. ४ वायुकाय का वैक्रिय जहा आयड्ढीए, एवं चेव आयकम्मुणा वि, आयप्पयोगेण वि भाणि - यव्वं । ९ प्रश्न - से भंते! किं ऊसिओदयं गच्छ्छ, पयओदयं गच्छछ ? ९ उत्तर - गोयमा ! ऊसिओदयं पि गच्छछ, पयओदयं पि गच्छइ ? १० प्रश्न - से भंते! किं एगओपडागं गच्छछ, दुहओपडागं गच्छइ ? १० उत्तर - गोयमा ! एगओपडागं गच्छइ, नो दुहओपडागं ६७४ गच्छइ । ११ प्रश्न - से णं भंते ! किं वाउंकाए पडागा ? ११ उत्तर - गोयमा ! वाउकाए णं से, णो खलु सा पडागा । कठिन शब्दार्थ - महं-बड़ा, जाणं- यान- शंकट - गाड़ी, जुग्ग-युग्य- वेदिका से युक्त दो हाथ लम्बा वाहन +, गिल्ली - हाथी की अंबाड़ी, थिल्ली - घोड़े का पलाण, लाट देश में इसे 'थिल्ली' कहते हैं, सीअ-शिविका - पालखी, संदमाणीय – स्यन्दमानिका - पुरुष जितनी लम्बाई वाला एक वाहन विशेष जिसको 'म्याना' कहते हैं, पडागा संठियं-पताका- ध्वजा के आकार, आयडीए - अपनी लब्धि से परिढीए-दूसरे की शक्ति से, आयप्पयोगेणआत्म प्रयोग से, ऊसिओषयं - उच्छितोदय - ऊँची उठी हुई, पयओवयं- नीचे गिरी हुई । भावार्थ - ६ प्रश्न - हे भगवन् ! क्या वायुकाब एक बड़ा स्त्री रूप, पुरुष रूप, हस्ति रूप, यान रूप और इसी तरह युग्य (रिक्शागाडी) गिल्ली (अम्बारी) थिल्ली (घोडे का पलाण ) शिविका ( शिखर के आकार से ढका हुआ एक प्रकार + वर्तमान में सिंहलद्वीप ( सिलोन - कोलम्बो ) में 'गोल' नाम का एक तालुका (जिला ) है । उसमें प्राय: इस 'युग्य' सवारी का ही विशेष प्रचलन है, जिसको 'रिक्शागाड़ी' कहते हैं । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004087
Book TitleBhagvati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages560
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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