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________________ १०८ ७. स्तवनादि स्फुट साहित्य इस विभाग में संस्कृत भाषा में जिनेश्वरों के स्तोत्र, राजस्थानी भाषा में गुम्फित चैत्य परिपाटियाँ, स्तवन, गीत, धमाल, पद, स्वाध्याय (सज्झाय) आदि की सूची दी जा रही है। प्रस्तुत सूची में १०८ लघुकृतियाँ हैं, शोध करने पर और भी प्राप्त हो सकती हैं। नाम आदिपद पद्यसंख्या विशेष १५ १६७२ » 39 वितनुते तनु ते तनुतेश्वर अनुपमगुणगणयुतमहिमानं नयति नयति जाता जातकीर्तिः जयति जगति पार्श्व: पुण्य० श्रीपार्श्वनाथं प्रभुमीश्वराणां विद्यमानं जिनं वन्दे अतिनिर्मलरोचिर्मण्डल जेसलगिरि मुख मंडणउ सकल सारद तणा पाय० डूंगर भलइ भेट्यउ श्री पुण्डरगिरि भेटीयइ रिसह जिण सुहकरण० सिरि रिसह सामि नाम० ३२ १६४४, गणि १४ १६६३, पाठक १५ गणि, क्र० १. शंखेश्वर पार्श्वनाथ स्तोत्र फलवर्द्धि पार्श्वनाथ स्तोत्र पार्श्वनाथ स्तोत्र पार्श्वनाथ स्तोत्र जैसलमेर पार्श्वस्तोत्र ढालबद्ध ६. सीमन्धरजिनस्तोत्र ७. भारती स्तोत्र ८. जेसलमेर चैत्य परिपाटी ९. शत्रुञ्जयतीर्थ चैत्य परिपाटी १०. शत्रुञ्जयतीर्थ चैत्य परिपाटी ११. शत्रुञ्जयतीर्थ स्तवन १२. मालासर ऋषभजिनस्तवन १३. शेरपुर आदिनाथ पंच कल्याणक स्तवन १४. अजित जिन गीत १५. सांगानेर-पद्मप्रभ जिन स्तवन १६. विशाला - विमलनाथ स्तवन १७. शान्तिनाथ स्तवन १८. राजनगर - शान्तिनाथ गीत १९. बीकानेर - नमिनाथ स्तवन २०. नेमीश्वर धमाल २१. नेमिनाथ स्तवन २२. नेमिनाथ गीत २३. नेमिनाथ गीत २४. पार्श्वनाथ गीत २५. पार्श्वनाथ स्तवन २६. गौडी पार्श्वनाथ स्तवन २७. गौडी पार्श्वनाथ गीत २८. गौडी पार्श्वनाथ स्तवन उवज्झाय पाठक १९ 9.9 गणि गणि सकल अजित जिन भजउ० जयउ जयउ जिनवरु रे० विमल मइदायगं० संतीसर जिणराय संभलि० वरदाई रे वरदाई रे प्रभु० नमइ जेहना पाय नररायः उग्रसेन की कुमारी भणइ० श्री नेमीसर इम कहइ रे० लालन मेरा हो क्या तुझ० नेमीसर पिउरा मानीयइ० वामानन्दन वन्दीयइ० प्रभु पासकुमर खेलइ वसंत प्रभु पास सहसफण प्रगट पुण्य श्री गउडी प्रभु पासु ए० मया दउडीय गउडीय पास० 1 9 3 9 उवज्झाय उवज्झाय Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004071
Book TitleDamyanti Katha Champu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2010
Total Pages776
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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