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________________ १३० चन्द्रकीर्तिसूरि पद्मचन्द्र | भावचन्द्र (सारस्वतव्याकरणवृत्ति अपरनाम गोपालटीका के रचनाकार) ऊपर सारस्वतव्याकरणदीपिका की प्रशस्ति में हम देख चुके हैं कि किन्ही पद्मचन्द्र की प्रार्थना पर उक्त कृति की रचना की गयी थी ११ । इससे यह प्रतीत होता है कि मुनि पद्मचन्द्र का रचनाकार से अवश्य ही निकट सम्बन्ध रहा होगा। ऊपर हम गोपालटीका की प्रशस्ति में देख रहे हैं कि टीकाकार भावचन्द्र ने पद्मचन्द्र को चन्द्रकीर्तिसूरि का शिष्य और अपना गुरु बतलाया है। इस प्रकार सारस्वतव्याकरणदीपिका की प्रथमादर्शप्रति के लेखक हर्षकीर्ति और उक्त कृति की रचना हेतु आचार्य चन्द्रकीर्ति को प्रेरित करने वाले पद्मचन्द्र परस्पर गुरुभ्राता सिद्ध होते हैं। चन्द्रकीर्तिसूरि (वि०सं० १६२३ में सारस्वतव्याकरणदीपिका के रचनाकार) पद्मचन्द्र (सारस्वतव्याकरणदीपिका की रचना के लिए प्रार्थना करने वाले) बृहद्गच्छ का इतिहास Jain Education International हर्षकीर्ति (सारस्वतव्याकरणदीपिका की प्रथमादर्श प्रति के लेखक ): भावचन्द्र (सारस्वतव्याकरणवृत्ति अपरनाम गोपालटीका के रचनाकार) हर्षकीर्ति द्वारा रचित कल्याणमन्दिरस्तोत्रटीका नामक एक अन्य कृति भी प्राप्त होती है, जिसका संशोधन उनके शिष्य महोपाध्याय देवसुन्दर ने किया १२ । इसी प्रकार इनके एक शिष्य शिवराज ने अपने गुरु द्वारा रचित बृहदशान्तिस्तव की वि० सं० १६७६ में प्रतिलिपि की १३ । वि० सं० १६५७ में लिखी गयी सिरिवालचरिय (श्रीपालचरित्र) की प्रतिलेखन प्रशस्ति१४ में भी इस गच्छ के कुछ मुनिजनों के नाम ज्ञात होते हैं, जो इस प्रकार हैं For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004033
Book TitleBruhad Gaccha ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2013
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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