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________________ ७ शृंगार मंजुरी उनि तेइ सानि सुवेखी, चतुर कामिनिनी परि देखी, सुकर पल्लवि वेली नाचती, भमरनई तेडई मदि-माअती सही ए निसिदिन सेवइ, सज्जन सुगुण सुरंग, घडीअ न पासुं छांडीइ, मांडीइ नव नव रंग, अल-अल इम मनि जाणीय, बइठा डालडी मूलि, पाडल किशलय कोमल, परिमल पेशल - फूलि. चंदन-गंध भुजंग मिलीघउ, वायुलइ मलय संगम कीघउ, संगति विख धारि घूमइ, तिणि वायु पंथी-मन दूमइ. सरल सछाय अशोक ए, लोक निं मोहन रूप, जाणे स्त्री कर - पल्लव, पल्लव रातइ रुपि, पंथीय कामिनि विरहय, रहिय वीसामु लेइ, आशा-बंध अशोक ए, सोक संताप हरेइ. वंश वजावइ भमरला, सुणतां दिइ उल्लास, तांडव मांडी नाचए, राचए मोर विलास, गीत गाइ तिहां कोइलि, आलवी पंचम - राग, इणि परि रितुपति आगलि, नाटक हुइ सराग. अशोक देखि कोइल उचाटिउ, कामिनी-मुख तंबोलि छाटिउ, प्रिय तणीं परि संभारण काजि, धरइ पल्लव राता आजइ. चालवती कर-किशलय, वेलडी नाच करंति, रंग- मंडप मलयानिल, सोय कला - गुरु हुंति, नील-दल केरी कांचली, पहिरी नव नव भाति, भमर जोइ ते नाटक, मनोहर मांडी पांति, कामिनी-स्तन आलिंगन पामी, कुरुबकइ पणि फूलिउ कामी, हरिणाक्षी भीडइ स्तन विचालि, माणस पंहि ते रूप रसाल. वसंत - मासि मुझ विरहिय, रहीय न सकइ नारि, प्राण त्यजइ प्रेम - गहिलीय, वहिलीय वसंत मजारि, काम वसंत वय-स्नेहनि, दुखण चिंतइ कोइ कोइ, कोइलि संशय टालिवा, तुहि तुहि बोलइ सोइ, कामिनी जे साहामूं जोइ, तिलकनी प्रेमनइ रसि साथ बोलइ, इंद्र नई ते गणिइ तृण तोलइ. परि कुलइ सोइ, ५३६ कामिनीचरण प्रेम-प्रहारि, तरु हसिउ ए फुल - अंबारि, Saint पर अशोक सुसंपनु, भमरला मिसि रोमंच उपनउ. ५४० Jain Education International For Personal & Private Use Only ५३७ ५३८ ५३९ ५४१ ५४२ ५४३ ५४४ ५४५ ५४६ ४९ www.jainelibrary.org
SR No.004029
Book TitleShrungarmanjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanubhai V Sheth
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1978
Total Pages308
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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