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________________ धर्माचरण निरर्थक नहीं जाता ५३ उनकी निष्कपटता को जानकर पुनः कहा--"भाई ! आपके पिताजी को व्यापार में घाटा जरूर हुआ होगा । किन्तु वह सामायिक करने से नहीं, वरन् पूर्वकृत पापकर्मों के उदय से हुआ होगा। भला तुम्हीं बताओ कि मिश्री खाने से भी किसी के दाँत गिर सकते हैं क्या ?" "किसी-किसी के गिर भी सकते हैं।"- वह बोले । "तो जिनके दाँत मिश्री खाने से गिरते हैं वे पहले से कमजोर और हिलने वाले नहीं होते होंगे क्या ? जिनके दाँत पूर्णतया मजबूत होते हैं वे तो मिश्री क्या उससे भी कड़ी चीज 'बेर की गुठलियाँ' आदि भी चबा सकते हैं । बचपन में मैं भी ऐसा करता था। छोटे बेरों को गुठलियों समेत चबा जाया करता था पर उस समय मेरा एक भी दाँत नहीं गिरा।" वे वृद्ध सज्जन कुछ अप्रतिभ होकर बोले "महाराज, आपकी बात सत्य है । पहले से हिलने वाले दाँत ही मिश्री खाने से गिर सकते हैं, अन्यथा नहीं।" ___ "तो फिर ऐसा क्यों सोचते हो कि सामायिक करने से मेरे पिताजी को घाटा लगा था ? घाटा तो पहले के पाप कर्मों के कारण लगा होगा, जिस प्रकार पहले से हिलने वाले दाँत मिश्री खाने से गिरते हैं। पूर्व कर्मों के उदय से तो सेठ सुदर्शन को सूली पर चढ़ना पड़ा था, वह क्या उनकी वर्तमान धर्मक्रियाओं के कारण हुआ था ? गजसुकुमाल के सिर पर अंगारे रखे गये थे तो क्या ऐसा उपसर्ग उनके साधुपना लेने के कारण आया था ? नहीं, नफा-नुकसान तो पूर्व संचित शुभ और अशुभ कर्मों के उदय से होता है। सामायिक जैसी शुभ क्रियाओं से कभी अशुभ फल प्राप्त नहीं हो सकता।" मेरी यह बात सुनकर उन वृद्ध व्यक्ति की धारणा बदल गई और नियमित रूप से सामायिक करने का नियम लेकर वे लौट गये । बन्धुओ, एक और भी संयोग मुझे ऐसा ही मिला था । बहुत समय पहले एक बार मैंने प्रवचन के बीच में प्रसंगवश कहा कि-'धर्म से कभी नुकसान नहीं होता।' ___ उस समय एक वृद्धा भी वहाँ बैठी थी साथ ही और भी कुछ बहनें थीं। प्रवचन की समाप्ति पर वह वृद्धा बोली-“महाराज ! मी एकादशी करीत असे परन्तु माझा मुलगा एकादशीच्या दिवशीच गेला तेव्हां पासून मी एकादशी करीत नाहीं।" Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004010
Book TitleAnand Pravachan Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnand Rushi, Kamla Jain
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1975
Total Pages418
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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