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________________ याचना परिषह पर विजय १२३ अपनी मर्यादा का खयाल रखते हुए शरीर को भाड़े के रूप में अन्न एवं वस्त्र देना पड़ता है। - आप व्यापारी लोग जिस प्रकार दुकान के लिए जगह किराये पर लेते हैं तथा उसके मालिक को किराया देकर अपने धन्धे से मुनाफा कमाते हैं । इसी प्रकार साधु शरीर को भी किराये पर ली हुई जगह समझते हैं तथा उसे आहार-जल के रूप में भाड़ा देते हुए जप, तप, सेवा, भक्ति एवं ज्ञान-ध्यान रूपी धन्धा करके कर्म-निर्जरा के रूप में मुनाफा कमाते हैं । केवल शरीर को पुष्ट करने के लिए साधु आहार नहीं लेते। संत तुकाराम जी ने कहा है__ 'मागणे लई नाही, लई नाही, पोटा पुरते देई, मागणे लई नाहीं। संत प्रभु से कहते हैं- "हे भगवन् ! हम आपसे अधिक नहीं माँगते । केवल पेट भर जाय और उससे शरीर टिका रहे, बस इतना ही माँगते हैं। अधिक कदापि नहीं। वस्तुत: आहार का वास्तविक प्रयोजन शरीर यात्रा का निर्वाह करना है । प्राणियों का शरीर कुदरती तौर पर इस प्रकार का बना हुआ है कि आहार के बिना वह अधिक समय तक नहीं टिक सकता। यही कारण है कि संत, मुनि एवं तपस्वियों को भी पारणे के दिन आहार करना पड़ता है। शरीर को टिकाने की दृष्टि से आहार ग्रहण करना अनिवार्य है अत: जगत के किसी भी धर्मशास्त्र में आहार करने का निषेध नहीं किया गया है। फिर भी संत, मुनि एवं महापुरुष बिना किसी स्वाद-लोलुपता के शरीर के निर्वाह मात्र को आहार ग्रहण करते हैं तथा उसमें भी अगर कभी कोई भूखा व्यक्ति सम्मुख आ जाता है तो बिना हिचकिचाहट के अपना भाग उसे प्रदान कर देते हैं। एक प्रसिद्ध वैदिक कथा है सर्वश्रेष्ठ दान महाभारत की समाप्ति के बाद युधिष्ठिर हस्तिनापुर की गद्दी पर बैठे । राज्य प्राप्त करने के पश्चात् उन्होंने 'अश्वमेध' नामक बड़ा भारी यज्ञ किया। इस महायज्ञ में भारत के समस्त राजा-महाराजा आए। बड़ी धूम-धाम से यज्ञ हुआ। उस अवसर पर देश के कोने-कोने में भी मुनादी करवा दी गई कि जितने भी ब्राह्मण एवं दीनदरिद्र व्यक्ति दान लेना चाहें, निस्संकोच आएँ तथा राजाधिराज युधिष्ठिर के द्वारा अन्न, वस्त्र एवं धन ले जाएँ। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004009
Book TitleAnand Pravachan Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnand Rushi, Kamla Jain
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1975
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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