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________________ आचार्य प्रवर श्री आनन्द ऋषि जी महाराज के पावन अमृत महोत्सव प्रसंग पर दो महत्वपूर्ण प्रकाशन भावना योग : एक विश्लेषण व्याख्याता-आचार्य श्री आनन्द ऋषि संपादक-श्रीचन्द सुराना 'सरस' 'भावना' के स्वरूप लक्षण और भेद-प्रभेद आदि का शास्त्रीय ___और जीवन स्पर्शी विषद विवेचन । श्वेताम्बर-दिगम्बर जैन ग्रन्थों के गंभीर अनुशीलन के साथ प्रस्तुत छह खण्ड एवं परिशिष्ट युक्त पृष्ठ लगभग ५०० मूल्य : १०) मया आचार्य प्रवर श्री आनन्द ऋषि अभिनन्दन ग्रन्थ [जैन विद्या एवं प्राकृत भाषा का ज्ञान कोष] प्रधान संपादक-श्रीचन्द सुराना 'सरस' धर्म, दर्शन, प्राकृत भाषा, जैन साहित्य, संस्कृति एवं इतिहास से सम्बन्धित लगभग १०० मूर्धन्य विद्वानों के शोधपूर्ण निबन्धों का महान संग्रह । पृष्ठ संख्या : ८०० मूल्य : ४०) रुपया Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004008
Book TitleAnand Pravachan Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnand Rushi, Kamla Jain
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1975
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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