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________________ ( १० संस्कृत जगत् के ख्यातिप्राप्त विद्वान् एवं भारत सरकार के विशिष्ट अलंकरण 'पद्मभूषण' से विभूषित श्रद्धेय आचार्य बलदेव उपाध्याय ने आशीर्वचन लिखकर हमारा उत्साहवर्द्धन किया है, अतः हम उनके प्रति हृदय से कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं । इस ग्रन्थ के प्रकाशन में संस्थान के वर्तमान उपाध्यक्ष श्रीमान् सवाई सिंघई धन्यकुमार जैन, महावीर कीर्तिस्तम्भ, कटनी ( म०प्र०) ने एक हजार रुपये की सहायता प्रदान की है, अतः इस आर्थिक औदार्य के लिये हम उनके हृदय से आभारी हैं । इस वर्ष मैं पर्यूषण पर्व में दिगम्बर जैन समाज, मीठापुर, पटना (बिहार ) के विशेष आग्रहपूर्ण निमन्त्रण पर पटना गया था । अतः वहाँ की जैन समाज ने भी इस ग्रन्थ के प्रकाशन हेतु चार सौ चौवन रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की है, एतदर्थ दिगम्बर जैन समाज पटना के भी हम आभारी हैं । प्रकाशन कार्यों में संस्थान के पूर्व व्यवस्थापक श्री पूरनचन्द्र जैन ( सम्प्रति संस्कृत प्रवक्ता, ब्राह्मी विद्यापीठ, लाडनूं, राज० ) का सहयोग मिला है और मुद्रण कार्य नया संसार प्रेस के मालिक श्री सन्तोषकुमार उपाध्याय ने तत्परतापूर्वक किया है । अत: इन दोनों मित्रों को हम हृदय से धन्यवाद देते हैं । निर्वाण भवन बी० २ / २४६, लेन नं० १४ रवीन्द्रपुरी, वाराणसी । २५ दिसम्बर, १६८७ Jain Education International डॉ० कमलेशकुमार जैन संयुक्त मंत्री श्री गणेश वर्णो दि० जैन संस्थान नरिया, वाराणसी For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003999
Book TitleYogasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamleshkumar Jain
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year1987
Total Pages108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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